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  4. Will the opposition Grand Alliance enter the electoral fray in 2024 without putting its face against Modi?
Written By Author विकास सिंह
Last Modified: शनिवार, 24 जून 2023 (15:32 IST)

2024 में मोदी के खिलाफ चेहरा उतारे बिना चुनावी मैदान में उतरेगा विपक्षी महागठबंधन?

modi in sydney
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता की बैठक में एकजुट होकर चुनाव लड़ने पर सहमति बन गई। पटना बैठक के बाद भले ही इस का एलान नहीं किया गया हो लेकिन लोकसभा चुनाव में मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा कौना होगा, लेकिन इस बात का स्प्ष्ट संकेत दे दिया गया कि विपक्ष के इस महागठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस करेगी। बैठक में तय किया गया कि 12 जुलाई को शिमला में कांग्रेस के नेतृत्व में बैठक कर भाजपा से मुकाबला करने के लिए एक साझा रणनीति तैयार की जाएगी और उसके बाद चेहरे पर फैसला होगा।

कांग्रेस के हाथ में नए गठबंधन की कमान?-पटना बैठक के आयोजक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा शिमला मे होने वाली बैठक का नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे। नीतीश कुमार के बयान इस बात के साफ संकेत है कि बैठक में शामिल विभिन्न दलों की इस बैठक में लगभग इस बात पर एकराय बन गई है कि नए गठबंधन की कमान कांग्रेस के हाथों में दी जाए।

वहीं बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगली बैठक में कॉमन मिनिमम एजेंडे पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। इसके साथ मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह भी साफ किया कि लोकसभा चुनाव के लिए हर राज्य के लिए अलग-अलग रणनीति तय की जाएगी।
 
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती?-2024 के लोकसभा  चुनाव में विपक्ष दलों को एकजुट करना कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने भी स्वीकार किया है कि सभी क्षेत्रीय दलों की अपनी-अपनी विचारधारा है। राहुल ने कहा कि हम सभी में थोड़ी-थोड़ी डिंफरेंसज होगी,पर हम एक साथ काम करेंगे। हमारी जो विचारधारा उसकी रक्षा करेगी।

दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव में अन्य दलों को अपने नेतृत्व में एक मंच पर लाना कांग्रेस के लिए एक टेढ़ी खीर है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती देने या उसको हराने के लिए सबसे जरूरी है विपक्ष की एकजुटता। राहुल ने विचारधारा की भिन्नता की बात स्वीकार करने के साथ विचारधारा की रक्षा की बात कर कांग्रेस के लचीले रवैया अपनाने के साफ संकेत दे दिए है।

खुद राहुल गांधी को विपक्षी एकता में अपनी विचाराधारा की कुर्बानी देनी पड़ेगी। इसको इससे समझा जा सकता है कि राहुल सावरकर के माफीनामे के बहाने संघ और भाजपा के घेरते आए जबकि विपक्षी एकता में शामिल शिवेसना के लिए सावरकर भगवान के समान है, ऐसे में अगर राहुल को विपक्षी एकता की अगवाई करनी है तो उन्हें अपनी विचाराधारा से समझौता करना ही पड़ेगा।

चेहरा घोषित करना कितनी बड़ी चुनौती?-2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी से मुकाबला करने के लिए विपक्ष को एक चेहरा उतरना पड़ेगा। यह चेहर कौन होगा, यहीं सबसे बड़ी चुनौती है। अगर कांग्रेस विपक्षी दलों के बनने वाले महागठबंधन की अगुवाई करती है तो क्या राहुल गांधी चेहरा होगा यह सबसे बड़ा सवाल है। ऐसे में जब 2019 का लोकसभा चुनाव राहुल के चेहरे पर लड़ने वाली कांग्रेस को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था तब क्या पांच साल बार फिर एक बार राहुल मोदी के सामने चेहरा बनकर चुनाव में उतरेंगे।

ऐसे इस बात की संभावना बहुत अधिक है कि मोदी के खिलाफ वन-टू-वन की लड़ाई लड़ने की बजाय विपक्ष दल चुनाव से पहले किसी एक चेहरा का एलान करने से बचे। राज्यों में सत्ता में काबिज विपक्ष दल खुद के चेहरे पर चुनाव में जाकर भाजपा को रोकने की कोशिश करें और चुनाव के बाद अगर परिणाम विपक्ष दलों के अनुकूल आते है तब चेहरा पर निर्णय लिया जाए।
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