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Written By Author वृजेन्द्रसिंह झाला

Gommatgiri Indore: क्या है गोम्मटगिरि विवाद, क्यों है जैन और गुर्जर समाज आमने-सामने?

Gommatgiri Indore: क्या है गोम्मटगिरि विवाद, क्यों है जैन और गुर्जर समाज आमने-सामने? - What is the Gommatgiri dispute, why Jain and Gurjar communities face to face
Gommatgiri Indore: इंदौर के गोम्मटगिरि क्षेत्र में जमीन के स्वामित्व को लेकर दिगंबर जैन समाज और गुर्जर समाज एक बार फिर आमने सामने हैं। जमीन को लेकर दोनों ही पक्षों के अपने-अपने दावे हैं। फिलहाल यह मामला उच्च न्यायालय में भी विचाराधीन है। हाल ही में इस मामले में दोनों पक्षों में विवाद भी हुआ। पहले भी कई बार इसको लेकर विवाद हो चुका है। जैन समाज के लोगों ने 28 सितंबर को गांधीनगर थाने पर धरना भी दिया था। गोम्मटगिरि पहाड़ी इंदौर में एयरपोर्ट के पास स्थित है। 
 
दिगंबर जैन समाज के वरिष्ठ निर्मल पाटोदी ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा कि श्री भगवान बाहुबली दिगंबर जैन ट्रस्ट गोमटगिरी के अंतर्गत संचालित धर्म तीर्थ गोम्मटगिरि के बारे में स्वप्न में भी किसी जैन धर्मानुयायी ने सोचा होगा कि इस धर्म धरा पर कभी किसी के द्वारा बाहुबल से बलात कब्जा करने, अतिक्रमण करने की चेष्टा भी की जा सकती है। धार्मिक व्यक्ति तो किसी अन्य धर्म समाज की भूमि को अपनी बताने की सोच भी नहीं सकता है। पूरे देश में जैन समाज ने कभी भी किसी भी धर्म के धार्मिक स्थल पर कब्जा या अतिक्रमण की चेष्टा तक नहीं की है।
 
उन्होंने कहा कि भारत ही नहीं दुनिया के जैन समाज के श्रद्धालुओं के लिए गोम्मटगिरि धर्म तीर्थ है। यहां भगवान बाहुबली की 21 फुट ऊंची पाषाण की खड़गासन दिगंबर मुद्रा धारण भव्य प्रतिमा है, जहां समाज जन दर्शन करने पहुंचते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का चातुर्मास भी इसी पहाड़ पर हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी भी यहां आ चुके हैं।
 
पाटोदी ने बताया कि 2006 से 2009 के बीच में आने-जाने का रास्ता बनाने की चेष्टा और 2010-11 एवं 2016-17 में इस पहाड़ी की शासकीय भूमि पर बिना अनुमति धर्मशाला बना ली गई। प्रकरण उच्च न्यायालय के विचाराधीन है। बाहुबली ट्रस्ट की निजी भूमि को अपना मानकर गुर्जर समाज के कतिपय लोग पहाड़ी पर से नीचे तलहटी तक जाने के लिए रास्ता बनाने की बार-बार कोशिश करते रहे हैं। उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश और निर्देश के बावजूद प्रशासन और पुलिस विभाग अनियमित निर्माण कार्य को रोक भी नहीं पाया है। उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण कार्य करने वाले और करवाने वालों को गिरफ्तार कर उन पर वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए। 
 
गोम्मटगिरि ट्रस्ट के अध्यक्ष भरत मोदी ने कहा कि जमीन को लेकर यह विवाद 2015 से है। 1981 में शासन ने ट्रस्ट को 65.60 एकड़ जमीन दी थी। फिलहाल यह मामला कोर्ट में चल रहा है। प्रशासन सहयोग तो छोड़िए असहयोग कर रहा है। गुर्जर समाज के पास जमीन के कोई कागज नहीं है फिर भी वहां जमीन पर कब्जा करवा दिया गया है। 
 
ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष कमल सेठी ने कहा कि जमीन आवंटित होने के बाद 81-82 से निर्माण कार्य शुरू हुआ था, जो कि 85-86 तक पूरा हो गया था। यह विवाद जानबूझकर पैदा किया जा रहा है। विवाद उत्पन्न करने वालों के पास जमीन के कोई भी कागजात नहीं हैं। हमारे पास जमीन के पूरे कागजात हैं। समाज 5 बार केस जीत चुका है। प्रशासन कोर्ट का आदेश भी नहीं मान रहा है। 
 
समाज के भानु जैन ने कहा कि 1981 अर्जुनसिंह के मुख्‍यमंत्रित्व काल में यह जमीन समाज को आवंटित की गई थी। उस समय जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं था, लेकिन जमीन की कीमत बढ़ने के साथ मानसिकता बदल गई और जानबूझकर विवाद पैदा किया जा रहा है। जिस समय जैन समाज को यह जमीन दी गई थी तब यहां सांप-बिच्छुओं के अलावा कुछ भी नहीं था। बड़ी मुश्किल से इस जमीन की सफाई करवाई गई। इसमें रतनलाल डेरियावाले का योगदान अहम रहा था। 10-20 रुपए चंदा जुटाकर यहां काम करवाया गया था। 
 
क्या कहता है गुर्जर समाज : जमीन पर दावा कर रहे गुर्जर समाज के अध्यक्ष डालचंद गुर्जर का कहना है कि यहां समाज का उदयराम-देवनारायण मंदिर है। इसके कागजात भी हमारे पास हैं, जबकि जैन समाज के पास इसके कोई कागज नहीं है। 610/1 और 610/2 के खसरे की नकल में भी उदयराम मंदिर का उल्लेख है। गुर्जर का कहना है कि जमीन आवंटन का कोई लिखित आदेश नहीं है। हमारा मंदिर 1200 साल पुराना है। हम पर अवैध निर्माण का भी आरोप लगाया जा रहा है, जो पूरी तरह निराधार है। 
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