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  4. Water revolution in Jal Ganga conservation campaign under the leadership of Chief Minister Dr. Mohan Yadav
Last Modified: सोमवार, 23 जून 2025 (14:55 IST)

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में जल क्रांति, सिंचाई का रकबा बढ़ने के साथ ग्रामीणों की बढ़ेगी आय

प्रदेश में पहली बार एआई, सिपरी और प्लानर सॉफ्टवेयर जैसी तकनीक का उपयोग

Chief Minister Dr. Mohan Yadav
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गरीबों, किसानों, युवाओं और महिलाओं को मजबूती देने के साथ ही प्रकृति, पर्यावरण, जल संरक्षण की दिशा में देश भर में चलाए जा रहे अभियान को मध्यप्रदेश सरकार मिशन के रूप में चला रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में जल क्रांति हो रही है। इस क्रांति के अंतर्गत जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत प्रदेश में निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा खेत तालाब, अमृत सरोवर, डगवेल रिचार्ज बनाए जा रहे हैं। इन कार्यों से प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ेगा, साथ ही भू-जल स्तर में भी सुधार होगा और ग्रामीण आजीविका को भी बढ़ावा मिलेगा।

प्लानर सॉफ्टवेयर से बनाई कार्ययोजना-बारिश के पानी का संचयन बड़े स्तर पर किया जा सके, इसके लिए मनरेगा परिषद द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान शुरू होने के तीन माह पहले जनवरी से ही तैयारी प्रारंभ कर दी गई थी। इसके लिए परिषद द्वारा प्लानर सॉफ्टवेयर तैयार कराया गया जिसमें कम से कम प्रविष्टि करते हुए ग्राम पंचायत स्तर पर योजना को अंतिम रूप दिया जा सके। जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत लिए जाने वाले नवीन कार्यों को इस प्लान में शामिल किया गया। इसके अलावा पिछले वर्ष के प्रगतिरत कार्यों को पूरा करने के लिए उन कार्यों को भी कार्ययोजना में जोड़ा गया गया। प्लानर सॉफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य था मनरेगा के उद्देश्यों एवं प्रावधानों का पालन कराते हुए कार्ययोजना को आसान तरीके से बनाया जाना। परिषद द्वारा साफ्टवेयर के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर पर कराए जाने वाले कार्यों की वार्षिक कार्ययोजना तैयार कराई। खास बात यह रही कि मध्यप्रदेश इस तरह का नवाचार करने वाला देश का पहला राज्य भी है।

सिपरी साफ्टवेयर से किया स्थल का चयन-तकनीक के साथ बारिश के पानी को संचय किया जा सके, साथ ही नई जल संरचनाओं के निर्माण के लिए स्थल चयन में भी आसानी हो, इसके लिए मनरेगा परिषद द्वारा सिपरी सॉफ्टवेयर बनाया गया। यह सॉफ्टवेयर (सॉफ्टवेयर फॉर आइडेंटीफिकेशन एंड प्लानिंग ऑफ रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर) एक उन्न्त तकनीक का साफ्टवेयर है, जिसे महात्मा गांधी नरेगा, मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद, भोपाल द्वारा MPSEDC और इसरो के सहयोग से तैयार कराया गया है। इस साफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण के लिए उपयुक्त स्थलों की सटीक पहचान कर गुणवत्तापूर्ण संरचनाओं का निर्माण सुनिश्चित करना है। इसके अलावा यह भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) आधारित वैज्ञानिक पद्धतियों से जल सरंचना स्थलों के चयन को अधिक सटीक बनाता है। सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रदेश में बड़ी संख्या में नई जल संरचनाओं जैसे खेत तालाब, अमृत सरोवर और डगवेल रिचार्ज के निर्माण के लिए स्थल का चयन किया गया। प्रदेश में किए गए इस तरह के प्रयोग को देखने के लिए बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र से अधिकारियों का दल भी आ चुका है।

पारदर्शिता व नियमित मॉनिटरिंग के लिए बनाया गया डैशबोर्ड-जल गंगा संवर्धन अभियान में मनरेगा योजना के तहत होने वाले कार्यों की पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही नियमित तौर पर इसकी मॉनिटरिंग भी की जा सके, इसके लिए परिषद द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान का डैशबोर्ड बनाया गया। डैशबोर्ड के माध्यम के प्रत्येक जिले में क्या-क्या कार्य हो रहे हैं उसकी राशि कितनी है। यह सब आसानी से https://dashboard. nregsmp.org/report_jsm देखा जा सकता है। साथ ही कार्यों की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। प्रत्येक सप्ताह की प्रगति रिपोर्ट भी कलेक्टर को उपलब्ध कराई जा रही है। जल गंगा संवर्धन अभियान के लिए बनाए गए डैशबोर्ड को नियमित 1 लाख 27 हजार से अधिक लोग देख भी रहे हैं।

30 मार्च से शुरू हुआ था जल गंगा संवर्धन अभियान-प्रदेश में बारिश के पानी का संचयन करने और पुराने जल स्त्रोतों को नया जीवन देने के लिए 30 मार्च से जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत हुई थी। इसका समापन 30 जून को खंडवा में होगा। 90 दिन तक चलने वाले इस अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन से की थी।

प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान में 77 हजार 940 खेत तालाब, 1 लाख 3 हजार 900 डगवेल रिचार्ज और 992 अमृत सरोवर बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया था। इसे समय रहते पूरा कर लिया गया है। प्रदेश में 21 जून की स्थिति में 82 हजार 310 खेत तालाब, 1 हजार 283 अमृत सरोवर और 1 लाख 3 हजार कुओं में रिजार्च पिट (डगवेल रिचार्ज विधि) बनाने का काम चल रहा है। इसके अलावा 19 हजार 949 पुराने कार्य भी पूरे किए गए हैं। जबकि, जल गंगा संवर्धन अभियान को पूरा होने में एक सप्ताह का समय शेष है। यह सभी कार्य मनरेगा योजना से कराए जा रहे हैं, जिसमें 2334 करोड़ रुपये खर्च की जा रही है।

2 लाख 30 हजार से अधिक जल दूतों ने कराया पंजीयन-प्रदेश में जल संरक्षण के प्रति अधिक से अधिक लोग जागरूक हों, इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा 1 लाख 62 हजार 400 जल दूत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। यह लक्ष्य भी निर्धारित लक्ष्य से अधिक हो गया है। प्रदेश में अब तक 2 लाख 30 हजार से अधिक जलदूतों ने पंजीयन कराया है।

पहली बार एआई, सिपरी और प्लानर साफ्टवेयर का किया गया है उपयोग-प्रदेश में पहली बार खेत तालाब, अमृत सरोवर और डगवेल रिचार्ज बनाने में सिपरी साफ्टवेयर, एआई और प्लानर सॉफ्टवेयर जैसी तकनीक का उपयोग किया गया है, जिससे निर्धारित लक्ष्य को समय रहते प्राप्त करने में आसानी हुई है। साथ ही गुणवत्ता पर भी विशेष ध्यान दिया गया। अब यह तकनीक देश के दूसरे राज्यों के लिए एक मॉडल रूप में विकसित हो रही है।

अभियान की प्रगति के बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को नियमित रूप से जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए डैशबोर्ड डाटा को AI के माध्यम से विश्लेषित कर सीधे संबंधित अधिकारियों को वाट्सऐप पर उपलब्ध कराई जा रही है। AI रिपोर्ट में जिले की विशेषताओं को अभियान के लक्ष्य के साथ अन्य जिलों की प्रगति से तुलना करते हुये जिले की प्रगति को दिखाया जाता है। जिससे अभियान की प्रगति में सुधार लाया जा सके।