विदिशा में वनकर्मियों की फायरिंग में आदिवासी की मौत, 3 घायल, जंगल से लकड़ी चुराने का आरोप
भोपाल। राजधानी भोपाल से सटे विदिशा जिले की लटेरी के जंगल में वन विभाग के अमले की गोली से एक ग्रामीण की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि मंगलवार रात रायपुरा के रहने वाले कुछ लोग जंगल से लकड़ी काट कर लौट रहे थे। इस दौरान वन विभाग की टीम ने उनको रोकने की कोशिश की, नहीं रूकने पर टीम ने फायरिंग कर दी। फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई। मृतक की पहचान चैन सिंह भील के रूप में हुई है, वहीं बाकी 3 व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए है। घायलों को विदिशा के अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।
लटेरी वन विभाग के अधिकारी राजवीर सिंह के मुताबिक 9 तारीख की शाम को परिक्षेत्र अधिकारी दक्षिण लटेरी को मुखबिर से सूचना मिली थी कि खटियापुरा गांव में कुछ लोग लकड़ी काट रहे हैं और उसे मोटर साइकिल से ले जा रहे हैं। इसके बाद विभाग की टीम उन्हें पकड़ने और रोकने के लिए गई तो लकड़ी चोरों ने मोटरसाइकिल बीच में डालकर पथराव शुरू कर दिया। इस दौरान आत्मरक्षा में वन विभाग की टीम ने गोली चलाई और मौके पर मौजूद एक ग्रामीण को लग गई जिसके चलते उसकी घटना स्थल पर ही मौत हो गई। वहीं 3 अन्य घायल हुए हैं जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं मृतक चैन सिंह के साथी घायल भगवान सिंह का आरोप है कि वन विभागे के अमले ने जानबूछकर गोली चलाई।
घटना की न्यायिक जांच के आदेश- वनकर्मियों की फायरिंग में युवक की मौत के बाद सरकार ने पूरे मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के कहा कि घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ घटना में शामिल वनकर्मियों को सस्पेंड किया गया है और हत्या (302) के तहत केस दर्ज किया गया है। इसके साथ घटना में मृतक के परिजनों को 20 लाख रुपए और घायलों को 5-5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता और निशुल्क उपचार की व्यवस्था की गई है।
आदिवासी की हत्या पर कांग्रेस हमलावर-वहीं लटेरी में युवक की मौत के बाद अब सियासत भी शुरु हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट कर घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि विदिशा जिले के लटेरी के जंगलों में वन विभाग की गोलीबारी में एक आदिवासी युवक की मृत्यु और तीन आदिवासी युवकों के घायल होने की गंभीर घटना सामने आई है। देश जब आजादी की हीरक जयंती मना रहा है तब भी शिवराज सरकार आदिवासियों के दमन और उत्पीड़न के अपने अभियान से पीछे नहीं हट रही है। शिवराज सरकार में कभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता तो कभी सत्ता की शह पर सरकारी अमला आदिवासियों की हत्या कर रहा है। प्रदेश पहले ही शिवराज सरकार में आदिवासी अत्याचार में देश में पहले स्थान पर पहुंच चुका है। आदिवासियों पर सरकारी संरक्षण में अत्याचार करने के बाद सरकार जांच और मुआवजे का पाखंड कर रही है। सरकार मृतक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे। आदिवासियों के नाम पर झूठे तमाशे करने वाली शिवराज सरकार क्या यह बताएगी कि आखिर क्या वजह है कि चाहे नेमावर हो मंदसौर हो या विदिशा हो, हर बार आदिवासियों पर अत्याचार क्यों हो रहा है? मुख्यमंत्री को तुरंत इस घटना के लिए आदिवासी समुदाय से माफी मांगनी चाहिए।