गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. मध्यप्रदेश
  4. Shehla Masood murder case, Madhya Pradesh High Court,
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 7 जुलाई 2017 (00:25 IST)

शहला मसूद हत्याकांड : जाहिदा और सबा की सजा पर रोक

शहला मसूद हत्याकांड : जाहिदा और सबा की सजा पर रोक - Shehla Masood murder case, Madhya Pradesh High Court,
इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित शहला मसूद हत्याकांड की प्रमुख मुजरिम जाहिदा परवेज और उसकी अंतरंग सहेली सबा फारकी को निचली अदालत की सुनाई उम्रकैद की सजा पर गुरुवार को अंतरिम रोक लगा दी। इसके साथ ही, दोनों महिलाओं की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्त वीरेंदर सिंह ने मामले में जाहिदा और सबा की अंतरिम अर्जी पर 27 जून को दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया।
 
सबा फारकी के वकील विनय विजयवर्गीय ने बताया कि युगल पीठ ने दोनों महिलाओं की अंतरिम अर्जी मंजूर करते हुए उनकी सजा पर तब तक रोक लगा दी, जब तक उच्च न्यायालय में लंबित उनकी अपील का अंतिम निराकरण नहीं हो जाता। अदालत ने दोनों महिलाओं की रिहाई के लिए [8377]40,000-40,000 की जमानत और इतनी ही राशि का मुचलका भरने का आदेश दिया। 
 
विजयवर्गीय ने कहा कि उनकी मुवक्किल सबा और उसकी सहेली जाहिदा ने शहला मसूद हत्याकांड में जिला अदालत के 28 जनवरी को सुनाए दंड आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर करते हुए कहा था कि मामले में अभियोजन पक्ष की कहानी परिस्थितिजन्‍य साक्ष्य पर आधारित है और वे मामले में निर्दोष हैं। बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि जाहिदा और सबा फिलहाल उज्जैन की एक जेल में बंद हैं। उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर उनकी जेल से रिहाई के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
 
उन्होंने कहा, मामले में आरोपी से सरकारी गवाह बने इरफान के निचली अदालत में दर्ज बयानों से साबित नहीं होता कि शहला हत्याकांड में सबा और जाहिदा की कोई भूमिका थी। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने पूरी तरह परिस्थितिजन्य सबूतों का सहारा लिया, लेकिन इन सबूतों के बूते अभियोजन की कहानी की श्रृंखला पूरी नहीं होती। उधर, सीबीआई ने उच्च न्यायालय से गुहार की थी कि जाहिदा और सबा की अपील खारिज कर दी जाए। 
 
अभियोजन पक्ष ने इस सिलसिले में अपनी जांच का हवाला देते हुए तर्क पेश किया था कि निचली अदालत ने उचित सबूतों की रोशनी में इस हत्याकांड में दोनों महिलाओं को दोषी ठहराया, जिसे भाड़े के शूटरों के जरिए अंजाम दिया गया था। सीबीआई की ओर से उच्च न्यायालय में यह भी कहा गया कि सबा साजिशन हत्याकांड के मामले में जाहिदा के साथ बेहद नजदीकी से जुड़कर काम कर रही थी। 
 
सीबीआई जांच के मुताबिक, भोपाल के तत्कालीन भाजपा विधायक ध्रुवनारायण सिंह के जाहिदा और शहला, दोनों से विवाहेतर संबंध थे। शहला से सिंह की बढ़ती नजदीकियों के कारण जाहिदा आरटीआई कार्यकर्ता से जलती थी और उसे रास्ते से हटाना चाहती थी। इसलिए साजिश के तहत उसने तीन लाख रुपए की सुपारी देकर भाड़े के हत्यारों से अपनी सौतन को मरवा दिया।
 
तत्कालीन विशेष सीबीआई न्यायाधीश बीके पालोदा ने भोपाल की आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या के मामले में 28 जनवरी को जाहिदा (40) और सबा (36) के साथ सुपारी लेकर भाड़े के हत्यारों का इंतजाम करने वाले शाकिब अली उर्फ डेंजर (42) और भाड़े के शूटर ताबिश (31) को दोषी करार दिया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने मामले के आरोपियों में शामिल कानपुर निवासी इरफान (31) के सरकारी गवाह बनने के बाद उसे क्षमादान दे दिया था।
 
आरटीआई कार्यकर्ता शहला मसूद (38) की उनके भोपाल के कोहेफिजा क्षेत्र स्थित घर के बाहर 16 अगस्त 2011 को साजिश के तहत गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनका शव उनकी कार की सीट पर मिला था।