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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : गुरुवार, 3 सितम्बर 2020 (09:46 IST)

एमपी गजब है ! कोरोनाकाल में गरीबों को बांटा गया जानवरों को खिलाने वाला चावल

खुलासे के बाद दो अधिकारी बर्खास्त,एक अफसर सस्पेंड,मिलर्स पर FIR

एमपी गजब है ! कोरोनाकाल में गरीबों को बांटा गया जानवरों को खिलाने वाला चावल - Rice feeding animals distributed to poor families in Balaghat and Mandla in Madhya Pradesh
भोपाल। कोरोनाकाल में गरीबों को मुफ्त अनाज देने के नाम पर उनको जानवरों को खिलाने वाला घटिया किस्म का चावल बांटने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। प्रदेश के बालाघाट और मंडला जिले में लॉकडाउन के दौरान पीडीएस सिस्टम के तहत पोल्ट्री ग्रेड का चावल गरीबों के बीच बांट दिया गया है। 
 
इस पूरे मामले का खुलासा केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय की एक रिपोर्ट के जरिए हुआ। घटिया चावल बांटे जाने की शिकायतों के बाद केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के डिप्टी कमिश्नर की अगुवाई वाली टीम ने बालाघाट और मंडला जिले में गोदामों और राइस मिल्स का निरीक्षण कर 32 सैंपल लिए गए, जिनकी जांच दिल्ली के कृषि भवन की ग्रेन अनालिसिस प्रयोगशाला में हुई। जांच में ये सैंपल अनफिट और फीड कैटेगरी के पाए गए।

केंद्रीय मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि जो चावल गोदामों से पीडीएस के जरिए बांटा गया,वह जानवरों और कुक्कुट को खिलाने लायक भर है। मंत्रालय ने जिस चावल को जानवरों के खाने लायक बताया है उसको बालाघाट जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए गरीबों के बीच बांटा जा रहा है। 

सफेद चावल का काला कारनामा-बालाघाट जिला जो मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश भर में चावल की खास किस्मों, जायके और खुशबू के लिए खास पहचान रखता है। यही वजह है कि यहां के चावल की भारी डिमांड रहती है। बालाघाट बड़ा धान उत्पादक जिला है, और इस वर्ष तकरीबन 40 लाख क्विंटल धान की खरीदी विपणन संघ ने की है।

जिले में अनुबंध के तहत राइस मिलर्स को 30 लाख क्विंटल धान चावल की मिलिंग के लिए दी गई, जिसका 67 फीसदी इन राइस मिलर्स को वापस सरकारी गोदामों में जमा करना पड़ता था।.लेकिन अधिकारियों और राइस मिलर्स की साठगांठ के लिए मिलिंग से पहले ही धान को दूसरे राज्यों में बेचने और बिहार-यूपी जैसे राज्यों से घटिया चावल मंगवाकर सरकारी गोदाम में जमा करने का काला कारनामा सामने आया है।
 
केंद्र सरकार के मापदंड के मुताबिक नागरिक आपूर्ति निगम और फूड कॉर्पोरेशन को चावल खरीदना होता है। क्वालिटी को चैक करने की जिम्मेदारी क्वालिटी इंस्पेक्टर की होती है। अगर माल की गुणवत्ता सही नहीं है तो चावल गोदाम में जमा नहीं किया जा सकता। लेकिन जिस तरह से केंद्र सरकारी की जांच टीम की रिपोर्ट आई है उसने सारी पोल खोलकर रख दी है। 
बालाघाट जिले में करीब 150 राइस मिल हैं। इन मिलों को मिलिंग के लिए विपणन संघ की ओर से धान दिया जाता है। मिलिंग के बाद इन मिल्स को सरकारी गोदाम में चावल जमा करना होता है। नागरिक आपूर्ति निगम इस चावल की गुणवत्ता चैक कर उसे गोदाम में जमा करवाता है और फिर इसे पीडीएस के जरिए बांटा जाता है। बढ़िया धान के बदले खराब चावल जमा करने के खेल में खुले तौर पर प्रशासन और राइस मिलर्स की मिलीभगत सामने आ रही है। चावल के 1 लाट में 580 बोरियां होती हैं। खराब गुणवत्ता का एक लाट जमा करने के एवज में 5 से 6 हजार रुपए लिए जाने की बात भी सामने आ रही है। 

नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह गोदाम में चावल जमा करते वक्त उसकी गुणवत्ता की जांच करे। इसके लिए क्वालिटी चैक अधिकारी भी होता है। अफसरों से सांठगांठ कर चावल मिल मालिक घटिया किस्म का चावल गोदमों में जमा करा देते है।  
मुख्यमंत्री शिवराज ने दिखाई सख्ती- केंद्रीय मंत्रालय की इस रिपोर्ट के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा एक्शन लेते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश है। सीएम के निर्देश के बाद बालाघाट और मंडला जिले में चावल में गुणवत्ता कार्य के लिए जिम्मेदार गुणवत्ता नियंत्र कों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के साथबालाघाट के जिला प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ संबंधित मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मिल को सील करने की कार्रवाई की जा रही है।

केंद्र सरकार के अधिकारियों की जांच में बड़ा गड़बड़झाला सामने आने के बाद केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने जिले के सभी गोदामों की जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही निर्देश दिए गए हैं कि जब तक सभी गोदामों में रखे सैंपल की जांच ना हो जाए तब तक चावल पीडीएस से सप्लाई न किया जाए। 
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