तूफान भी नहीं रोक पाया, मात्र 12 घंटे में पूरी की 5642 मीटर ऊंची चढ़ाई
इंदौर। रामधारीसिंह दिनकर की पंक्तियां हैं- 'खम ठोक ठेलता है जब नर पर्वत के जाते पांव उखड़'। ऐसा ही जज्बा दिखाया इंदौर के 22 वर्षीय युवा पर्वतारोही मधुसूदन पाटीदार ने, जिन्होंने खराब मौसम और तूफान से लड़ते हुए यूरोप के एल्ब्रस पर्वत की 5642 मीटर की ऊंचाई 12 घंटे में नाप ली।
बरवेट गांव, राऊ (इंदौर) के मधुसूदन के मुताबिक यूरोप में बर्फ के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एल्ब्रस की चढ़ाई लगभग 8 से 9 दिन में पूरी होती है, लेकिन मधुसुदन ने 5642 मीटर ऊंचे एल्ब्रस की चढ़ाई मात्र 12 घंटे में पूरी की और वहां तिरंगा लहरा दिया। इससे पहले वे दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट और दक्षिण अफ्रिका के पर्वत किलिमंजारो को भी फतह कर चुके हैं।
गौरतलब है कि अब तक कोई भी भारतीय पर्वतारोही इतने कम समय में इस चोटी पर नहीं चढ़ पाया है। मधुसूदन यूरोप की सबसे ऊंची इस पर्वत श्रृंखला पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के पर्वतारोही भी बन गए हैं। मधुसूदन 29 मई को इंदौर से निकले थे और 31 मई को टेरस्कोल से चढ़ाई प्रारंभ की।
पाटीदार के मुताबिक चढ़ाई के दौरान हवा और तेज बर्फबारी ने काफी बाधा डाली। करीब चार घंटे तक हमें एक ही जगह पर रुकना भी पड़ा। हालात इतने विपरीत हो रहे थे कि जब मैं टेंट में था तो मेरा टेंट पीछे से उड़ने लगा था। एक बार पीछे लौटने का विचार भी आया, लेकिन लेकिन मौसम थोड़ा साफ हुआ तो मैंने अपना इरादा बदल दिया।
उन्होंने बताया कि दृढ़ संकल्प से आप असंभव को भी संभव बना सकते हैं। मेरे लिए भी यह लक्ष्य आसान नहीं था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और लक्ष्य पर पहुंचकर ही दम लिया। बुलंद हौसले वाले मधुसूदन का कहना है कि अगले साल वे फिर से माउंट एल्ब्रस की चढ़ाई करेंगे और लक्ष्य इससे भी कम समय में चढ़ाई का होगा। उनकी ख्वाहिश है कि वे दुनिया का हर चोटी पर भारतीय तिरंगा फहराएं।
मधुसूदन अपनी सफलता का श्रेय पाटीदार समाज राऊ के साथ साथ स्पोर्ट्स एंड यूथ वेलफेयर डिपार्टमेंट मध्यप्रदेश, राउडटेबल इंडिया इंदौर को भी देते हैं।