भोपाल। मध्यप्रदेश में नई शराब नीति में सरकार का पूरा फोकस प्रदेश में शराब को हतोत्साहित करने पर रहा। नई शराब नीति में सरकार ने संचालित सभी अहातों को बंद करने, शॉप बार पर शराब पीने की सुविधा खत्म करने का बड़ा फैसला किया। नई आबकारी नीति में दुकानों में बैठ कर शराब पीने की अनुमति नहीं होगी। वहीं शराब की दुकान के लिये शैक्षणिक और धार्मिक संस्थानों के आसपास के 50 मीटर के दायरे को बढ़ाकर 100 मीटर किया जायेगा। साथ ही शराब पीकर वाहन चलाने वालों के ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित करने एवं सजा के प्रावधान कड़े किए जाएंगे।
नई शराब नीति पर क्या बोले शिवराज?-नई आबकारी नीति पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बहुत पहले से प्रदेश में ऐसी आबकारी नीति लाने का प्रयास किया है जो शराब पीने को हतोत्साहित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि नशा एक सामाजिक बुराई है और मैंने मुख्यमंत्री रहते हुए तय किया था कि प्रदेश में कोई नई शराब की दुकानें नहीं खोली जाएगी। इसलिए सालों से प्रदेश में शराब की दुकानें स्थिर है। वहीं अन्य राज्यों की तुलना में प्रदेश में शराब से होने वाला रेवन्यू औऱ दुकानें बहुत कम है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्सर देखा गया कि लोग शराब की दुकानों से शराब खरीदते है और बने अहातों में बैठकर शराब पीते है,जिसके कई दुष्परिणाम होता है। ऐसे में शराब पीने के बाद व्यक्ति बाहर निकलने पर कई बार शराब के नशे में अपराधिक घटनाओं को अंजाम देता था, जिससे कानून व्यवस्था को खतरा होता है।
वहीं शराब के नशे में कई बार मां-बहन और बेटी की तरफ कुदृष्टि भी पड़ती है और दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती थी। इसलिए अब शराब की दुकाने के साथ अहाते नहीं होंगे। नई नीति में आहातों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं प्रदेश में अब धार्मिक स्थल और किसी भी स्कूल-कॉलेज के 100 मीटर के दायरे में कोई भी शराब की दुकान नहीं होगी।
इसके साथ मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब पीकर गाड़ी चलाने पर ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित किया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चलाता है पहली बार में 6 महीने में और दूसरी बार में दो साल के लिए लाइसेंस कैंसल किया जाएगा और अगर कोई व्यक्ति तीसरी बार शराब के नशे में गाड़ी चलाते हुए पाया गया तो उस पर आजीवन गाड़ी चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जनता को नशे के नुकसान को बताने और शराब पीने को हतोत्सहित करने के लिए प्रमुखता से नशा मुक्ति अभियान चलाया जाएगा और इसके लिए बजट में पर्याप्त राशि रखी जाए।
उमा भारती ने की शिवराज की तारीफ- प्रदेश में शराबबंदी और सार्वजनिक स्थलों पर शराब की दुकानों को लेकर पिछले लंबे समय शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने नई शराब नीति पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जमकर तारीफ की है। उन्होंने नई शराब नीति को एक ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी निर्णय बताते हुए कहा कि नई शराब नीति से मेरे बड़े भाई ने व्यक्तिगत तौर पर मुझे परम संतोष एवं गौरव प्रदान किया है।
उमा भारती ने आगे कहा कि “शराब की दुकान के सामने बैठकर शराब पीने का पूर्णतया: निषेध और पूरे प्रदेश के अहाते बंद करने का निर्णय एवं शराब पीकर वाहन चलाने पर सजा के प्रावधान इस नीति के वह विशेष अंग हैं जो शराब नीति के लिए मध्यप्रदेश को मॉडल स्टेट बना रहे हैं। मुझे विश्वास है कि शिवराज जी द्वारा घोषित की गई नई शराब नीति अन्य राज्यों के लिए भी मॉडल नीति बन जाएगी”।
वहीं उमा भारती ने कहा कि इस शराब नीति का यह बिंदु बहुत महत्वपूर्ण है कि जिन शराब की दुकानों के लिए भारी जन विरोध हुआ है उनकी नीलामी ही नहीं होगी। मध्यप्रदेश पहले से ही गौ वंश पर आधारित ऑर्गेनिक खेती में बहुत आगे बढ़ चुका है ""शराब छोड़ो दूध पियो"" अभियान को हम और सशक्त करके सरकार का सहयोग करेंगे।
क्या शराबबंदी की ओर बढ़ रहा मध्यप्रदेश?- मध्यप्रदेश में नई आबकारी नीति में शराब दुकाने से लगे आहते और दुकानों पर शराब पीने पर प्रतिबंध लगाने के बाद यह सवाल पूछा जाने लगा कि क्या मध्यप्रदेश भी धीरे-धीरे शराबबंदी की ओर बढ़ रहा है।
प्रदेश में 2010 से प्रदेश में कोई नई शराब की दुकाने नहीं खुलने और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान 64 शराब दुकानें बंद करने और लगातार शराब के दाम बढ़ाकर सरकार लोगों को शराब के लिए हतोत्साहित कर रही है।
नशा मुक्ति विशेषज्ञ डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते है कि लोगों में शराब पीने के लत छुड़ाने के लिए प्रदेश सरकार जो भी कदम उठा रही है वह एकदम सही दिशा में है। शराब की लत छुड़ाना एक बोध और चेतना का विषय है और सरकार की इस दिशा में ही काम कर रही है। वह कहते है कि जब नशा नियंत्रण की बात की जाती है तो शराब से सामाजिक, आर्थिक और शरिरिक समस्या न हो। शराब दुकाने से बने अहाते हटाने से सामाजिक समस्या हल हो जाएगी। वहीं शोध यह भी बताते है कि अगर शराब को महंगा किया जाता है तो यह शराब नियंत्रण की दिशा में एक करागर कदम होता है।
डॉक्टर सत्यकांत त्रिवेदी कहते है कि अगर अब तक हुए शोध को देखा जाए तो पूर्ण शराबबंदी कहीं भी सफल नहीं रही। लोग शराब पीने के दूसरे अन्य रास्ते खोज लेते है जो कहीं अधिक गंभीर होते है। पिछले दिनों बिहार जैसे राज्य जहां पूर्ण शराबबंदी है वहां जहरीली शराब पीने से बड़ी संख्या में लोग मारे गए।