मोदी-शाह के भोपाल दौरे ने कैसे बता दिया कि सत्ता और संगठन उनके रडार पर?
अमित शाह और कैलाश विजयवर्गीय की बंद कमरे की मुलाकात से सियासी अटकलें
भोपाल। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद अब मध्यप्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है। समिट में भोपाल आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सरकार के मंत्रियों और पार्टी नेताओं के साथ हुए बैठकों ने प्रदेश के सियासी पारा को गर्मा दिया है। दो दिन भाजपा के दो शीर्षस्थ नेताओं के भोपाल दौरे ने यह साफ कर दिया है कि मध्यप्रदेश में सरकार और संगठन दोनों उनके रडार पर है।
अमित शाह-विजयवर्गीय की मुलाकात सुर्खियों में-ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद प्रदेश के सियासी हल्कों में सबसे अधिक चर्चा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के दिग्गज नेता और प्रदेश सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की मुलाकात है। दरअसल समिट के समापन समोहर में आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद फोन कर कैलाश विजयवर्गीय को मिलने बुलाया। जीआईएस के समापन में शामिल होने के बाद अमित शाह जब स्टेट हैंगर की तरफ रवाना हुए तो उन्होंने कैलाश विजयर्गीय के बारे में पूछा और खुद कैलाश विजयवर्गीय को फोन कर स्टेट हैंगर बुलाया। जहां दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में करीब 20 मिनट चर्चा हुई। स्टेट हैंगर के वीआईपी लाउंज में दोनों नेताओं के बीच क्या बात हुई इसको लेकर ही सियासी अटकलें लगाई जा रही है।
इस मुलाकात की अहमियत इसलिए भी है कि जब अमित शाह ने कैलाश विजयवर्गीय को फोन किया तो उस वक्त कैलाश विजयवर्गीय भोपाल से इंदौर के लिए रवाना हो चुके थे लेकिन शाह के फोन के बाद वह आनन-फानन में स्टेट हैंगर पहुंचे। शाह और कैलाश की मुलाकात ऐसे समय हुई है जब भाजपा को अपना नया प्रदेश अध्यक्ष चुनना है, ऐसे मे क्या कैलाश विजयवर्गीय अब प्रदेश अध्यक्ष बनने की दौड़ में शामिल हो गए है, यह सवाल भी सियासी गलियारों में गूंज रहा है। इसके साथ कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले दिनों जिस तरह से प्रदेश की राजनीति में अपने तेवर दिखाए है, उसको लेकर भी शाह की उनसे मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।
मोदी ने मंत्री-विधायकों-सांसदों को पढ़ाया अनुशासन का पाठ- ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के शुभारंभ के लिए एक दिन पहले भोपाल पहुंचे पीएम मोदी की मंत्रियों, विधायकों औऱ पार्टी सांसदों के साथ हुई बंद कमरे में 2 घंटे से अधिक चली बैठक भी सियासी गलियारों में खूब सुर्खियों में है। भाजपा से जुड़े सूत्र बताते है कि बैठक में जिस तरह से पीएम मोदी ने कुशाभाउ ठाकरे का जिक्र करते हुए संगठन को मजबूत करने की बात कहने के साथ विधायकों और सांसदों को ट्रांसफर पोस्टिंग के चक्कर में नहीं पड़ने की सीख दी उसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने विधायकों और सांसदों को क्षेत्र में सक्रिय रहने के साथ केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओ का प्रचार प्रसार की नसीहत दी, उससे साफ है कि मध्यप्रदेश भाजपा संगठन और सरकार दोनों ही केंद्रीय हाईकमान राडार पर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों और विधायकों से अपने-अपने क्षेत्रों के लोगों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने के साथ सुलभता और जनता के प्रति जवाबदेह होन पर जोर दिया। इसके साथ पीएम ने सार्वजनिक जीवन में संयमित व्यवहार रखने की जरूरत पर जोर दिया, जिसका उदाहरण लोगों में दिया जा सके। पीएम ने कहा कि जनता अपने प्रतिनिधियों के कार्यों को बारीकी से देखते हैं। इसके साथ ही पीएम ने मंत्रियों, विधायकों और सांसदों को अनावश्यक बयानबाजी से बचने की दो टूक नसहीत दी।