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Last Updated : शनिवार, 19 अप्रैल 2025 (15:35 IST)

कूनो के बाद अब गांधी सागर अभयारण्य होगा चीतों का नया आशियाना, बोत्सवाना से भी आएंगे और चीते

Kuno Cheetah Project
भोपाल। चीता स्टेट मध्यप्रदेश में अब कूनो के बाद गांधी सागर अभयारण्य चीतों का नया ठिकना होगा। 20 अप्रैल को गांधी सागर अभयारण्य में 2 चीते छोड़े जाएंगे। कूनो नेशनल पार्क से 2 चीते शिफ्ट कर गांधीसागर अभयारण्य में छोड़े जाएंगे। वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान में कुल 26 चीते हैं। इनमें से 16 चीते खुले जंगल में हैं और 10 पुनर्वास केंद्र में हैं।

प्रोजेक्ट चीता के तहत ही गांधीसागर अभयारण्य में भी चीते चरणबद्ध रूप से विस्थापित किए जा रहे है। मध्यप्रदेश के नीमच और मंदसौर जिले में स्थित गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों के स्वागत के लिए पूरी तैयारी हो चुकी है। गांधीसागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है, इसलिए अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर की स्थापना के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है और अब 2 चीतों गांधी सागर अभ्यारण्य में छोड़ा जा रहा है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के मुताबिक देश में चीता प्रोजेक्ट पर अब तक 112 करोड़ रुपए से अधिक राशि व्यय की जा चुकी है। इसमें से 67 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश में हुए चीता पुनर्वास पर व्यय हुई है।

बोत्सवाना से दो चरण में लाए जाएंगे 8 चीते-भारत में चीतों के पुर्नवास के लिए बोस्तवाना से 8 चीते और लाए जा रहे है। जिसमें मई 2025 तक बोत्सवाना से 4 चीते भारत लेकर आने की योजना है। इसके बाद 4 और चीते लाये जाएंगे। दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना तथा केन्या से और अधिक चीते भारत लाने के लिए प्रयास जारी हैं। भारत और केन्या के बीच अनुबंध पर सहमति बनाई जा रही है।

'वेबदुनिया' ने चीतों के एक साथ रखने पर उठाए थे सवाल?-गौरतलब है कि कूनो में चीतो की संख्या अधिक होने और लगातार उनकी मौत के बाद लंबे समय से चीतों की गांधी सागर अभ्यारण्य शिफ्ट करने की मांग विशेषज्ञ की ओर से की जा रही है। ‘वेबदुनिया’ से चर्चा मे चीता प्रोजेक्ट से जुड़े विशेषज्ञों ने चीतों को गांधी सागर अभ्यारण्य भेजे जाने की मांग की थी। पालपुर कूनो में चीता प्रोजेक्ट की पूरी कार्ययोजना तैयार करने वाले मध्यप्रदेश कैडर के 1961 बैच के आईएएस अफसर एमके रंजीत सिंह 'वेबदुनिया' से बातचीत में कूनो अभ्यारण्य में एक साथ 20 चीतों को रखने पर सवाल उठाए थे। वहीं भारत में चीता प्रोजेक्ट में अहम भूमिका निभाने वाले  वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून के पूर्व डीन डॉ. वायवी झाला ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा था कि भारत में चीतों की बसाहट में कभी एक जगह ही सिर्फ चीतों को छोड़ने का कभी प्लान नहीं था और एक जगह चीता छोड़ने से चीता बस नहीं जाएंगे।

कूनो में चीता सफारी शुरु करने की तैयारी-कूनो में चीतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा मादा चीता ने शावकों को जन्म दिया है। चीतों की निगरानी के लिए सैटेलाइट कॉलर आईडी से 24 घंटे ट्रैकिंग की जा रही है। चीतों के पुनर्स्थापना के बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों की संख्या बढ़कर 2 साल में दोगुनी हो चुकी है। कूनो नेशनल पार्क में जन्में चीता शावकों की सर्वाइवल रेट पूरे विश्व में सर्वाधिक है। दूसरे देशों में चीता शावक जलवायु से अनुकूलन के अभाव में सर्वाइव नहीं कर पाते हैं। चीतों के लिए जरूरी जलवायु और वातावरण की दृष्टि से गांधीसागर अभयारण्य बेहद अनुकूल है, इसलिए सरकार यहां चीते छोड़कर इस अभयारण्य को भी चीतों से गुलजार करने जा रही है। अभी कूनो और गांधीसागर अभयारण्य में चीता मित्रों की क्षमता संवर्धन के लिए उन्हें विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।

पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित होगा कूनो- कूनो चीतों की संख्या में लगातार इजाफा के बाद अब कूनो को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने की तैयारी की जा रही है। ग्वालियर से कूनो नेशनल पार्क तक पक्की बारहमासी रोड बनाई जाएगी। कूनो में टेंट सिटी तैयार कर यहां आने वाले पर्यटकों को जंगल में प्रकृति के पास समय बिताने का सुनहरा अवसर उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वन मंत्री यादव की मंशा के अनुरूप हम कूनो प्रक्षेत्र में इंटरनेशनल लेवल का एक पशु चिकित्सालय और रेस्क्यू सेंटर भी खोलेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार से भी मदद लेंगे। पशु चिकित्सालय के संचालन से कूनों के चीतों के इलाज के साथ-साथ इस पूरे क्षेत्र में गौवंश के उपचार में भी मदद मिलेगी।