शराबबंदी के लिए उमा भारती की पत्थरबाजी, देखें वीडियो
भोपाल। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने आज यहां एक शराब दुकान पर अपने समर्थकों के साथ पहुंचकर शराब का उग्र विरोध किया और उन्होंने एक पत्थर भी दुकान में दे मारा।
सुश्री भारती ने स्वयं इस घटना का वीडियो ट्विटर पर जारी किया है। उन्होंने लिखा है कि भोपाल के बीएचईएल स्थित बरखेड़ा पठानी क्षेत्र में श्रमिकों की बस्ती में शराब की दुकानों की श्रृंखला हैं, जो एक बड़े अहाता में लोगों को शराब परोसते हैं। यह मजदूरी की बस्ती है और पास में मंदिर और छोटे बच्चों के स्कूल हैं। यहां पर शराब पीने वाले व्यक्ति आसपास की महिलाओं और लड़कियों को भी परेशान और लज्जित करते हैं।
पिछले कई दिनों से शराबबंदी लागू करने की मांग करती आ रही हैं भारती ने लिखा है कि मजदूरी की पूरी कमाई इन दुकानों में फूंक दी जाती है। यहां के निवासियों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन प्रशासन ने हर बार बंद करने का आश्वासन दिया। लेकिन कई साल हो गए, यह नहीं हो पाया। भारती ने कहा कि आज उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी है कि एक सप्ताह के अंदर दुकान और अहाता बंद कर दिया जाए।
इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए कहा लिखा है कि '10 मार्च के बाद के परिणाम आना शुरू। भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री की छुट्टी। उमा भारती ने शराब की दुकान के बहाने हाथों में पत्थर उठाए। नाम शराब की दुकान का, निशाना कहीं और। श्रीमंत के भोपाल बंगले में आने की तैयारी जोरों पर।
सलूजा ने सिलसिलेवार ट्वीट में लिखा है कि 'गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा जी, मैं भी मध्यप्रदेश में शराब के विरोध में हूं। मैं भी चाहता हूं कि प्रदेश में शराबबंदी हो। जिस तरह से प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती जी ने आज शराब की दुकान का विरोध किया है, वैसा विरोध मैं भी करना चाहता हूं। कृपया अनुमति दीजिए।'
सलूजा ने कहा है, 'एमपी में शराबबंदी अभियान शुरू करने की तीन तीन बार तारीख देकर गायब रहीं प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब शराब की दुकान में खुद पत्थर बरसा रही हैं? अब क्या उमा भारती पत्थर उठाकर शराबबंदी करवाएंगी?
एक पूर्व सीएम को अपनी सरकार में यह सब करना पड़े तो समझा जा सकता है कि वो कितनी असहाय हो चुकी हैं। एक तरफ शिवराज जी प्रदेश में शराब को सस्ती और शराब की दुकानों को डबल कर रहे हैं और दूसरी तरफ उन्हीं की पार्टी की नेता मैदान में हाथों में पत्थर लेकर?'
सलूजा ने कहा कि वैसे पूर्व मुख्यमंत्री को कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए, यह अपराध है। विरोध के कई अन्य लोकतांत्रिक तरीके भी हैं।