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Last Updated :भोपाल , शनिवार, 4 अक्टूबर 2025 (12:47 IST)

दवा में मिला जहर, Coldrif कफ सीरप पर मध्यप्रदेश में भी लगा बैन

coldrif cough syrup
Coldrif Cough Syrup Ban : मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शनिवार को मध्यप्रदेश में Coldrif कफ सीरप के कारण बच्चों की मौत के मामले में बड़ा फैसला करते हुए इस कंपनी के सीरप को राज्य में बैन कर दिया है। यह फैसला कफ सीरफ में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल जैसा जानलेवा जहर मिलने के बाद किया गया। ALSO READ: कफ सिरप को लेकर केंद्र सरकार हुई सख्‍त, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी, कई बच्चों की हुई मौत
 
मोहन यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि छिंदवाड़ा में Coldrif सीरप के कारण हुई बच्चों की मृत्यु अत्यंत दुखद है। इस सीरप की बिक्री को पूरे मध्यप्रदेश में बैन कर दिया है। सीरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य प्रोडक्ट की बिक्री पर भी बैन लगाया जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि सीरप बनाने वाली फैक्ट्री कांचीपुरम में है, इसलिए घटना के संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने तमिलनाडु सरकार को जांच के लिए कहा था। आज सुबह जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के आधार पर कड़ा एक्शन लिया गया है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों की दुखद मृत्यु के बाद स्थानीय स्तर पर कार्रवाई चल रही थी। राज्य स्तर पर भी इस मामले में जांच के लिए टीम बनाई गई है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
दवा में मिला डाईएथिलीन ग्लाइकॉल : तमिलनाडु सरकार ने महज 24 घंटे में मामले की जांच कर ली। इसमें पता चला कि कोल्ड्रिफ सिरप के बैच SR-13 में 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल जैसा जानलेवा जहर मिला है। वहां तुरंत अलर्ट जारी हुआ, उत्पादन रोका गया और रिटेल और थोक स्टॉक को सीज किया गया।

DGHS ने भी जारी की एडवाइजरी : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के डीजीएचएस (DGHS) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी किया है। इस परामर्श में बच्चों को खांसी की दवा सोच-समझकर और सावधानी से देने की सलाह दी गई है। एडवाइजरी में कहा गया है कि ज़्यादातर बच्चों में खांसी-जुकाम अपने आप ठीक हो जाते हैं और इसके लिए दवा की जरूरत नहीं होती।
 
स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी में कहा गया कि माता-पिता खास इस बात का ध्यान रखें कि अगर बच्चा 2 साल से कम है तो उसे खांसी-जुकाम की दवा बिलकुल न दी जाए। इसके लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाना जरूरी है। वहीं 5 साल से छोटे बच्चों को भी ये दवाएं आमतौर पर नहीं दी जाती है। 5 साल से ऊपर के बच्चों को दवा तभी दी जाए जब डॉक्टर क्लिनिकल जांच करके जरूरी समझें।
edited by : Nrapendra Gupta