बाल विवाह के संदेह में पुलिस को शिकायत, वर-वधु गायब
इंदौर। लंबे नाटकीय घटनाक्रम के बाद महिला और बाल विकास विभाग के उड़नदस्ते की ओर से मंगलवार को यहां एक नाबालिग लड़की के बाल विवाह के संदेह को लेकर पुलिस का दरवाजा खटखटाया गया।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बाल विवाह के खिलाफ चलाए जा रहे ‘लाडो अभियान’ के उड़नदस्ते के प्रभारी महेंद्र पाठक ने बताया कि उन्होंने इंदौर के एक गुरुद्वारे में 17 वर्षीय लड़की के संदिग्ध बाल विवाह के संबंध में भंवरकुआं पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। इस लड़की का परिवार नजदीकी देवास शहर में रहता है।
उन्होंने कहा कि लड़की के परिजन ने संदिग्ध बाल विवाह के बाद वर और वधु को गायब कर दिया और महिला व बाल विकास विभाग को मामले की जांच में जरा भी सहयोग नहीं किया।
उड़नदस्ता प्रभारी ने बताया, ‘बाल विवाह की शिकायत मिलने पर जब हम गुरुद्वारे पहुंचे, तो हमें वहां संदिग्ध वर और वधु नहीं मिले, लेकिन कई मेहमान भोजन करते पाए गए। उन्होंने बताया, जब हमने लड़की के पिता सतविंदर से पूछताछ की, तो उसने दावा किया कि उसने अपनी बेटी की शादी नहीं बल्कि सगाई की है, लेकिन उसने इस बारे में लिखित बयान दर्ज कराने या शपथ पत्र देने से साफ इंकार कर दिया।
पाठक ने बताया, ‘हम करीब चार घंटे तक गुरुद्वारे में डटे रहे। लेकिन हमारे बार-बार कहे जाने के बावजूद संदिग्ध वर-वधु को हमारे सामने पेश नहीं किया गया। हमसे कहा गया कि लड़का-लड़की घूमने निकल गए हैं। उन्होंने बताया कि मामले की जांच जारी है और बाल विवाह की पुष्टि पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा।
देश में 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम आयु की लड़की की शादी बाल विवाह की श्रेणी में आती है, जो कानूनन अपराध है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत दोषी को दो वर्ष तक के सश्रम कारावास अथवा एक लाख रुपए तक के जुर्माने या दोनों सजाओं का प्रावधान है।