Last Modified: रायपुर ,
रविवार, 1 फ़रवरी 2009 (12:13 IST)
साय व बलीराम के टिकट खतरे में
भाजपा अपने दो मौजूदा सांसदों के टिकट काटने के फेर में है। सरगुजा में नंदकुमार साय की जगह मुरारीलाल सिंह को तवज्जो दी जा रही है। बस्तर में बलीराम कश्यप के बदले उनके बेटे दिनेश कश्यप को मैदान में उतारा जा सकता है। वहीं बिलासपुर के कुछ विधायक करुणा शुक्ला की संभावित उम्मीदवारी के खिलाफ लामबंद हो गए हैं।
टिकट के दावेदारों की टोह लेने पार्टी रविवार को सभी 11 सीटों पर पर्यवेक्षक भेज रही है। हर सीट में तीन-तीन पर्यवेक्षक जाएँगे। उनकी टीम में एक-एक मंत्री को शामिल किया गया है। कांकेर में मंत्री की जगह विधायक नारायण चंदेल को भेजा जा रहा है। राजनांदगाँव के पर्यवेक्षक पार्टी नेताओं से खैरागढ़ में बातचीत करेंगे। पर्यवेक्षकों की रवानगी के पहले ही सत्तारुढ़ दल में टिकट को लेकर उठापटक शुरू हो गई है।
सरगुजा में मौजूदा सांसद साय के खिलाफ मुहिम शुरू हो गई है। स्थानीय नेताओं ने संगठन को दो टूक समझा दिया है कि यदि दोबारा साय को मैदान में उतारा गया तो पार्टी की हार तय है। ऐसे नेताओं ने राज्य लघु वनोपज संघ के अध्यक्ष रहे मुरारीलाल सिंह का नाम आगे बढ़ाया है। यही वजह है कि कुछ नेताओं ने साय को आदिवासी बहुल अनारक्षित सीट कोरबा से किस्मत आजमाने का सुझाव दिया है।
कोरबा से राज्यसभा सदस्य दिलीप सिंह जूदेव चुनाव लड़ना चाहते हैं। ऐसे में साय को आराम करना पड़ सकता है। माना जा रहा है कि यदि जूदेव जीत जाते हैं तो रिक्त होने वाली राज्यसभा सीट पर साय को भेजने पर विचार किया जा सकता है।
बस्तर के सांसद कश्यप को दोबारा मैदान में उतारने के सवाल पर पार्टी नेतृत्व असमंजस में है। कश्यप अस्वस्थता के बावजूद चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। पार्टी नेताओं की दिक्कत यह है कि कोई भी कश्यप जैसे वरिष्ठ और तेज-तर्रार नेता को विश्राम करने की सलाह देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। प्रदेश भाजपा कश्यप के बेटे और जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष दिनेश कश्यप को टिकट देने के लिए तैयार हैं। सूत्रों के मुताबिक फैसले के वक्त दिनेश का नाम तय हो सकता है।