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  4. Has there been a rift between Digvijay and Kamal Nath?

क्‍या दिग्विजय और कमलनाथ के बीच आई दरार, क्‍यों मप्र चुनाव में कांग्रेस को भारी पड़ सकती है दिग्गजों की राजनीतिक तल्खी

kamal diggi
क्या कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच सबकुछ ठीक है? शायद नहीं। पिछले दिनों एक वीडियो सामने आया था, इस वीडियो में कांग्रेस नेता और प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कमलनाथ टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं के समर्थकों से कह रहे थे- जाकर दिग्विजय सिंह और उनके बेटे के कपड़े फाड़ो...

जब इस बयान पर विवाद बढ़ा तो कमलनाथ ने कांग्रेस का वचन पत्र जारी करते हुए इसे लेकर सफाई भी दी। हालांकि सफाई देने के दौरान इस प्रेसवार्ता में एक बार फिर से दिग्‍विजय सिंह और कमलनाथ के बीच तल्‍खी महसूस की गई।

इस दौरान कमलनाथ ने ये भी कहा कि गाली खाने के लिए उन्होंने दिग्विजय सिंह को पावर ऑफ अटॉर्नी दी हुई है। जवाब में दिग्विजय सिंह ने कहा कि विष पीने को भी तैयार हूं। लेकिन दिग्विजय ने लगे हाथ कमलनाथ से ये भी पूछ लिया कि फॉर्म ए और बी पर किसके दस्तखत होते हैं?

कुल जमा मध्‍यप्रदेश की सियासत के दोनों दिग्‍गज नेताओं के बीच राजनीतिक केमिस्‍ट्री में कभी तल्‍खी नजर आई तो कभी तरफदारी। हालांकि इस बीच दिग्‍विजय ने दोनों के संबंधों को कभी दोस्‍ताना बताया तो कभी पारिवारिक रिश्‍ता बताया। लेकिन अब एक बार फिर से दोनों के बीच एक राजनीतिक तल्‍खी की खबरें हैं। जो तनातनी कमलनाथ के कपड़े फाड़ने वाले बयान से शुरू हुई थी, उसकी आंच अब तक महसूस की जा रही है।

क्‍यों खफा है दिग्विजय सिंह?
अब कहा जा रहा है कि कांग्रेस की दूसरी सूची जारी होने के बाद टिकट बंटवारे को लेकर दिग्‍विजय सिंह कमलनाथ से खफा हैं। इसी के चलते शुक्रवार को उन्‍होंने अपना एक चुनावी दौरा भी रद्द कर दिया है। कहा जा रहा है कि दिग्‍विजय सिंह की नाराजी इस बात को लेकर है कि कांग्रेस ने मध्‍यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह के खिलाफ एक कमजोर उम्‍मीदवार उतारा है। इसके साथ ही उनका मानना है कि 8 से 10 ऐसे टिकट हैं जो गलत बांट दिए गए हैं। शायद यही वजह है कि सूची जारी होने के बाद कांग्रेस अब तक करीब 7 सीटों पर प्रत्‍याशियों के नामों में फेरबदल कर चुकी है।

क्‍या सज्‍जन सिंह वर्मा हैं इसके पीछे?
कहा जा रहा है कि दिग्‍विजय सिंह और कमलनाथ के बीच तनातनी पहले से ही शुरू हो गई थी जब कुछ नेताओं को टिकट नहीं मिलने की शिकायत के बाद कमलनाथ ने दिग्‍विजय और उनके बेटे जयवर्धन के कपड़े फाड़ने की बात कह डाली थी। लेकिन खबर है कि दूसरी सूची में प्रत्‍याशियों के नाम तय करने में सज्‍जन सिंह वर्मा की अहम भूमिका है। बता दें कि देवास-शाजापुर विधानसभा क्षेत्रों मे सज्‍जन सिंह वर्मा की खासी पकड है और यहां के मतदाता भी निर्णायक भूमिका के लिए माने जाते हैं। अतीत में जाकर देखें तो सज्‍जन सिंह वर्मा के कई बयान दिग्‍विजय सिंह के खिलाफ मिल जाएंगे। ऐसे में संभव है दूसरी सूची में सज्‍जन सिंह वर्मा का दखल हो, जिससे दिग्‍गी नाराज हो गए हों।

क्‍या रहा है नाथ-दिग्‍गी का राजनीतिक इतिहास?
दिग्विजय सिंह ने जहां साल 1971 में राघौगढ़ नगरपालिका के अध्यक्ष का चुनाव लड़कर सियासत में आए थे, जबकि इसके बाद वे 1977 में राघौगढ़ सीट से जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। जबकि कमलनाथ ने अपने सियासी सफर की शुरुआत साल 1980 में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से की थी। कमलनाथ जब पहली बार चुनाव लड़ रहे थे, दिग्विजय सिंह दूसरी बार विधानसभा पहुंचने जाने की तैयारी में लगे थे। इस तरह कमलनाथ दिल्ली में तो दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश की राजनीति में अपना कद बढाते गए।

1993 में दिग्विजय सिंह पहली बार मध्यप्रदेश के सीएम बने और 2003 तक रहे। इसमें कमलनाथ को भी योगदान माना जाता है। वहीं, जब 2018 में कमलनाथ ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीते तो उन्‍हें सीएम की कुर्सी तक पहुंचाने में दिग्विजय सिंह का खास योगदान माना जाता है।

अब 2023 के विधानसभा में दोनों के बीच चल रही तनातनी को उनका राजनीतिक स्‍टंट माना जाए या वाकई दोनों के बीच सियासी दरार सा कुछ आ गया है, यह तो तभी पता चलेगा जब चुनावों के परिणाम आएंगे।
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