झूठी आशा की लत से रहें दूर
-
मानसी
हेलो दोस्तो! जब किसी व्यक्ति को कोई लत पड़ जाती है और इस कारण उसकी जिंदगी अजीरन होने लगती है तो उसे वह छोड़ने का हमेशा संकल्प लेता है। वही लत दुहराते हुए वह हमदर्दी रखने वालों से यह वायदा करता है कि आज बस यह अंतिम है पर उस अंत का अंत कभी नहीं आता।नतीजतन उस लत से पीछा नहीं छुड़ा पाने की पीड़ा उसे अथाह निराशा एवं अवसाद के दलदल में ढकेल देती है। वह हार मानकर लत छोड़ने का प्रयास ही छोड़ देता है। वह मान लेता है कि उसका पूरा जीवन अब मुसीबतों के साथ ही कटना है।ठीक ऐसा ही हाल रमेश (बदला हुआ नाम) का है। जिस लड़की को वह भूल जाना चाहता है, जिसकी यादों को अपने ख्वाबों-खयालों से निकाल बाहर करना चाहता है उसको फेसबुक एवं नेट पर तलाश करता रहता है। जो उससे हर पल दूर जाने की कोशिश करती है। अपनी पहचान उससे छुपाना चाहती है। उसके बारे में तरह-तरह से पता लगाता रहता है। इन कारगुजारियों के बावजूद दावा यह कि वह उस लड़की के साये से भी दूर होने की कोशिश कर रहा है। उसके अनजान बनने पर उसे श्राप देता है।रमेश जी, उस लड़की के कन्नी काटने पर जिस प्रकार आप उसे कोसते हैं, बददुआएँ देते हैं, उससे उस लड़की का कितना बुरा होगा यह निश्चित करना तो मुश्किल है पर इतना पक्का है कि इसका आपकी मानसिक सेहत पर अवश्य ही बुरा प्रभाव पड़ रहा है। किसी भी कुढ़न या नकारात्मक सोच का कोई अच्छा प्रभाव पड़ते आज तक नहीं पाया गया।बहुत ही सीधी सी बात है कि जब भी आप किसी को श्राप देते हैं या कोसते हैं, उस वक्त आपका मन किसी दुख को याद करके रो रहा होता है। रोता हुआ मन शरीर और आत्मा, दोनों को कष्ट देता है। इसीलिए सबसे पहले तो कोसने के बहाने ही सही, उसका नाम लेना छोड़ें। नफरत के नाम पर उसके नाम की माला जपना छोड़ें। यह न तो उसे याद करने का अच्छा तरीका है और न ही भूलने का।क्या आपको यह अजीब नहीं लगता कि एक ओर आप उसे भूलने के लिए हर प्रकार का प्रयास कर रहे हैं और दूसरी ओर फेसबुक में उसको खोजते फिर रहे हैं। जो लड़की दो वर्षों से आपसे दूर है और लगातार उसने अपने आपको हर प्रकार के संपर्क एवं संवाद से काटकर रखा है उससे आप क्या उम्मीद करते हैं कि वह अचानक फेसबुक पर आपसे आशिकी बघारने लगेगी। यह उसके परिपक्व व्यवहार का सूचक है कि वह आपको फेसबुक पर पहचानने से इंकार कर रही है।आप उसके द्वारा फेसबुक पर नहीं पहचान पाने के ढोंग से क्यों विचलित हैं? यदि वह सामने मिल जाए और फिर भी आपसे मुखातिब न हो या आपके पहल करने पर बात करने से मना कर दे तो आप क्या कर लेंगे ? पूरे दो सालों से वह आपको यही एहसास करा रही है कि वह किस्सा वहीं खत्म हो गया पर आप हैं कि मानते ही नहीं। यह फिल्मों में होता है कि कहानी अभी बाकी है क्योंकि वहाँ कहानी को बढ़ाना-घटाना, फिल्म बनाने वाले के हाथ में होता है। मोबाइल की भाषा में यदि आपको समझाया जाए तो आप तुरंत उसकी तमाम यादें, तस्वीरें, नाम, मैसेज मिटा दें। न तो फेसबुक, न नेट और न ही कहीं और उसे ढूँढ़ने की कोशिश करें। उसका नाम भी न लें।
रमेश जी, सच्चाई को मान लें और जीवन को नया रुख दें। एक नशेड़ी जो कल न पीने का वायदा कर शराब पीता रहता है, आप भी आज आखिरी बार संपर्क कर लेता हूँ, क्या पता उसकी न, हाँ में बदल गई हो, की आशा नहीं छोड़ते। झूठे आश्वासन एवं तसल्ली की भी कोई तो हद होती है। जो व्यक्ति आपको तरजीह न देता हो या पसंद नहीं करता हो उसके पीछे भागना और प्यार की भीख माँगना क्या आपको शोभा देता है? वह अच्छी लगती थी, उसका प्यार अच्छा लगता था, ये सब ठीक है पर किसी भी कारण से यह रिश्ता टूट चुका है और उसने उलटकर नहीं देखा है, इतने बड़े सच को आप नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।मोबाइल की भाषा में यदि आपको समझाया जाए तो आप तुरंत उसकी तमाम यादें, तस्वीरें, नाम, मैसेज मिटा दें। न तो फेसबुक, न नेट और न ही कहीं और उसे ढूँढ़ने की कोशिश करें। उसका नाम भी न लें। बेहतर हो कि नए दोस्त बनाएँ जहाँ नई बातें हों और उस प्रेम-प्रसंग का जिक्र भी न हो।दुनिया बहुत बड़ी है। पूरी दुनिया में कोई एक ही शख्स अच्छा नहीं होता। दूसरों को जानने की कोशिश करेंगे, रुचि लेंगे तो बहुत सारे अच्छे मनुष्य मिलेंगे। अगर आप मन का पट बंद करके रखेंगे तो न तो आशा की किरण उसमें प्रवेश कर पाएगी और न ही ताजा हवा के झोंके। दुनिया का कोई काम किसी एक के बिना नहीं रुकता है तो फिर आपकी जिंदगी कैसे रुक जाएगी। आपके भीतर माफ और प्यार करने की क्षमता है। आपका यह गुण निश्चय ही आपको एक सच्चे साथी से मिलाएगा। अपने कॅरिअर और सेहत से प्यार करें सब अच्छा होगा।