अहम नहीं, रिश्ते अहम हैं
-
निकिता दलाल यदि हजबेंड-वाइफ के बीच आपसी समझ और प्यार है तो प्रोफेशनल कॉम्पीटिशन या ज्वेलेसी के लिए दोनों के बीच कोई जगह नहीं हो सकती है। उल्टे एक ही जैसा काम करने से एक-दूसरे के प्रति ज्यादा समझ पैदा होती है। लड़कियों की एजुकेटेड और सेल्फ डिपेंड होने की तीखी आकांक्षा और आर्थिक जरूरतों ने मिलकर महिलाओं को भी घर से बाहर काम करने के लिए प्रेरित किया। लड़कियों के लिए जीवनसाथी उसी के व्यवसाय से होना चाहिए या फिर वही काम करता हुआ नहीं होना चाहिए? इस दौर में ये एक महत्वपूर्ण प्रश्न होकर उभरा है।एक विचार तो ये हैं कि दोनों एक ही तरह का काम करेंगे तो एक-दूसरे को ज्यादा अच्छे से समझ पाएँगे, एक-दूसरे के काम की अहमियत, योग्यता, समस्या और जरूरतों को अच्छी तरह समझ पाएँगे और दोनों के बीच एक बेहतर समझ विकसित होगी, जो एक अच्छे रिश्ते के लिए बेहद जरूरी शर्त है। दूसरा विचार ये है कि दोनों का एक ही पेशे में होना दोनों के वैवाहिक रिश्ते के लिए ज्यादा सुखद नहीं होगा। दोनों के बीच बेकार की प्रतिस्पर्धा होगी और उससे फिर ईर्ष्या पैदा होगी, रिश्तों में खटास बढ़ेगी। पति-पत्नी के एक ही प्रोफेशन में काम करने के अपने नुकसान हैं तो अपने लाभ भी हैं। एक ही प्रोफेशन में काम करने में सबसे बड़ा खतरा प्रोफेशनल प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या का होता है। याद कीजिए अमिताभ की फिल्म अभिमान को। दूसरी समस्या दफ्तर से घर आने की है। यदि पति-पत्नी दोनों एक ही प्रोफेशन में हैं तो न तो उनके पास कोई और दुनिया होगी और न ही अपने प्रोफेशन से बाहर की कोई बातें... इससे होगा ये कि उनके पास वही-वही बातें होंगी और वही समस्याएँ भी। ऐसा भी हो सकता है कि या तो दोनों एक-दूसरे से अपने काम से जुड़ी हर बात शेयर करें या फिर यूँ भी हो सकता है कि दोनों एक-दूसरे से हरेक चीज छुपाएँ।
एक व्यावहारिक समस्या तो ये भी हो सकती है कि दोनों का समय अलग-अलग हो और कुछ नौकरियों में जैसे डॉक्टर, पुलिस, पत्रकारिता या फिर कोई और इमरजेंसी का काम हो तो काम का समय असुविधाजनक भी हो सकता है। इस व्यावहारिक समस्या को छोड़कर बाकी चीजें तो ठीक की जा सकती हैं। यदि पति-पत्नी के बीच आपसी समझ और प्रेम है तो व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा या ईर्ष्या के लिए दोनों के बीच कोई जगह हो ही नहीं सकती है। उल्टे एक ही जैसा काम करने से एक-दूसरे के प्रति ज्यादा समझ पैदा होती है। वैसे पति-पत्नी के एक ही प्रोफेशन में काम करने के लाभ ज्यादा हैं। दोनों को काम की प्रकृति, उसकी जरूरतें और मजबूरियों की पूरी जानकारी रहती है, जिससे एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति और सहयोग की भावना बढ़ती है। प्रोफेशनल समस्याओं में एक-दूसरे की मदद हो जाती है। प्रवीण और सुरेखा दोनों ही पुलिस की नौकरी कर रहे हैं। दोनों की ड्यूटी का समय अलग-अलग है, तो बच्चों के लिए ज्यादा समस्या नहीं होती है। दूसरे दोनों किसी प्रोफेशनल समस्या को साथ मिलकर सुलझा सकते हैं। वैसे देखा जाए तो जीवन के कोई नियम नहीं होते हैं। एक ही बात जो किसी के लिए सही होती है, दूसरे के लिए गलत हो जाती है, लेकिन यदि आपसी समझ, प्यार, विश्वास और एक-दूसरे पर भरोसा हो तो दोनों के एक ही प्रोफेशन में काम करने से उनके रिश्ते में कोई फर्क नहीं पड़ता है। उल्टे दोनों के बीच रिश्ते ज्यादा सकारात्मक, प्रगाढ़ और संवेदनशील हो उठते हैं।