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Written By भाषा

सरकार कूटनीतिक मोर्चे पर नाकाम-जसवंत

जसवंतसिंह
राज्यसभा में विपक्ष के नेता जसवंतसिंह पश्चिम बंगाल के पर्वतीय स्थल दार्जिलिंग से चुनाव लड़ने को अपने राजनीतिक जीवन की अनूठी उपलब्धि मानते हैं।

सिंह कहते हैं कि इस क्षेत्र से चार देशों नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमाएँ लगने के कारण दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र की महत्ता है।

सिंह ने रविवार को यहाँ कहा कि बांग्लादेश की तरफ से अवैध घुसपैठ चीन से हमारे कटु संबंध नेपाल से विस्फोटक हालात और वहाँ की राजनीति हमारे लिए चिंता का विषय है। यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घटनाक्रम बदले तो उसका प्रभाव भारत पर भी पडे़गा।

पूर्व विदेशमंत्री सिंह ने आरोप लगाया कि केन्द्र की संप्रग सरकार कूटनीतिक मोर्चे पर निष्क्रिय बनी हुई है। इसका भारत के हितों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे माहौल में देश के महत्वपूर्ण मंत्रालयों को पार्ट टाइम मंत्रियों के भरोसे चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह कुछ कर नहीं पाए हैं तथा प्रणब मुखर्जी कुछ कर पाने में सक्षम नहीं है।

सिंह ने प्रधानमंत्री पद को लेकर उनका नाम उछाले जाने की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि राजग के घटक दलों का निर्णय अंतिम है और लालकृष्ण आडवाणी ही राजग के एकमान्य नेता है। उन्होंने गौरखालैंड को अलग राज्य का दर्जा दिए जाने की माँग को उचित बताया।

सिंह ने कहा दार्जिलिंग से चुनाव लड़ने का मेरा कोई विचार नहीं था, लेकिन नियति ने मुझे रेगिस्तान से उठाकर दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए बुलाया है। उन्होंने कहा कि इसे महज एक घटना बताना उचित नहीं है। इसके पीछे लगता है एक बड़ा प्रयोजन छिपा है।

उन्होंने कहा कि देश के पूर्वी और पश्चिमी छोर से मेरे और मानवेन्द्र (पुत्र) के रूप में दो प्रतिनिधि चुनाव लड़ रहे है। इसमें गर्व की अनुभूति हो रही है, अहंकार की नहीं।

पूर्व विदेशमंत्री ने कहा कि तीसरा मोर्चा बनने से पूर्व ही बिखर रहा है। उन्होंने कांग्रेस में परिवादवाद की परंपरा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में मतदाताओं से यह मुद्दा चल रहा है, जिसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ेगा।