Last Modified: नई दिल्ली ,
शुक्रवार, 8 मई 2009 (10:01 IST)
वरुण व प्रेम ने राजनाथ को मुश्किल में डाला
पीलीभीत से भाजपा उम्मीदवार वरुण गाँधी और उत्तर पूर्वी दिल्ली से पार्टी उम्मीदवार बीएल शर्मा 'प्रेम' ने अपने उग्र हिन्दुत्ववादी भाषणों से भाजपा के पक्ष में हिन्दू मतों का ध्रुवीकरण तो नहीं किया, उल्टे पार्टी और अपने अध्यक्ष राजनाथसिंह के लिए मुश्किलें जरूर खड़ी कर दीं।
राजनाथ को जहाँ अपने चुनाव क्षेत्र गाजियाबाद में इसकी वजह से अपने खिलाफ मुस्लिम ध्रुवीकरण की चुनौती झेलनी पड़ी, वहीं वरुण के भाषण की वजह से लखनऊ में लालजी टंडन को भी अपने परंपरागत मुस्लिम मतदाताओं की नाराजगी उठानी पड़ी।
रामपुर, मुरादाबाद, अलीगढ़, बदायूँ, फर्रुखाबाद, संभल, बरेली जैसी कई सीटों पर भाजपा के खिलाफकांग्रेस के पक्ष में मुस्लिमों को एकजुट कर दिया। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे से जुड़े एक मुस्लिम नेता के मुताबिक राजनाथ की छवि एक उदारवादी भाजपा नेता की है। मुसलमानों में उन्हें आडवाणी या नरेंद्र मोदी की तरह कट्टर नहीं माना जाता।
उदारवादी छवि : राजनाथ की भी कोशिश अटलबिहारी वाजपेयी की तरह मुसलमानों के बीच अपनी उदारवादी छवि बनाए रखने की है। इसलिए कई मुस्लिम नेताओं से उनके बेहतर रिश्ते हैं। इसलिए जब कल्याणसिंह के दबाव में सपा ने गाजियाबाद में उम्मीदवार नहीं उतारा तो राजनाथ के प्रति मुसलमानों का रुख नरम करने के लिए कई क्षेत्रीय मुस्लिम नेताओं से उन्हें मिलवाया भी गया।
उन्होंने भरोसा भी दिया कि भाजपा से परहेज रखते हुए भी मुसलमान राजनाथ के खिलाफ गोलबंद होकर कांग्रेस के पक्ष में नहीं जाएँगे और अपनी मर्जी से कांग्रेस, बसपा और अन्य उम्मीदवारों को वोट करेंगे। लेकिन वरुण के भड़काऊ भाषण के बाद संघ के दबाव में जब राजनाथ खुलकर वरुण के साथ खड़े हुए और उनसे मिलने एटा जेल तक गए तो मुसलमानों में तीखी प्रतिक्रिया हुई और इससे कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र गोयल को ताकत मिली।
वरुण प्रकरण ठंडा होने के बाद मुसलमानों को नरम करने की कोशिशें फिर तेज हुईं और राजनाथ उनके बीच भी गए। लेकिन चुनाव प्रचार के आखिरी दिन बीएल शर्मा प्रेम ने मुसलमानों के खिलाफ जहर उगल कर राजनाथ के लिए मुसीबत खड़ी कर दी। भाजपा के एक नेता के मुताबिक प्रेम के भाषण के बाद मुसलमानों को संभालना मुश्किल हो गया और मुसलमानों का वोट विभाजित करवाने की भाजपा की कोशिशें बेकार हो गईं।-नईदुनिया