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Written By भाषा

राज्यसभा सांसद भी चुनाव मैदान में उतरे

लोकसभा चुनाव
जंग में सब कुछ दाँव पर लगा होता है और शायद इसीलिए इस बार के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों खासकर भाजपा ने राज्यसभा के अपने वर्तमान सदस्यों को देश की प्रमुख सीटों पर चुनाव मैदान में उतारा है।

सबसे ज्यादा चर्चित नाम भारतीय जनता पार्टी से ही हैं, जिसने उच्च सदन के नेता प्रतिपक्ष जसवंतसिंह तक को पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग सीट से उम्मीदवार बनाया है।

जसवंतसिंह के अलावा पार्टी ने पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री और इलाहाबाद से पिछला चुनाव हारे मुरली मनोहर जोशी को इस बार उत्तरप्रदेश के वाराणसी से चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा को झारखंड की हजारीबाग सीट से उम्मीदवार बनाया गया है।

अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के प्रकरण में विवादों के घेरे में आए बजरंग दल के नेता विनय कटियार को भाजपा ने आंबेडकर नगर सीट से टिकट दिया है, जबकि पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी अपने पुराने क्षेत्र छपरा से चुनाव मैदान में हैं, जिसका नाम परिसीमन के बाद बदलकर सारन हो गया है, जहाँ उनका मुकाबला रेलमंत्री लालूप्रसाद यादव से है।

भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज को मध्यप्रदेश की प्रतिष्ठित विदिशा सीट से टिकट दिया गया है, जबकि पार्टी ने पूर्व मंत्री दिलीपसिंह जूदेव को छत्तीसगढ़ की बिलासपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है।

कांग्रेस हालाँकि राज्यसभा के सदस्यों को लोकसभा चुनाव में उतारने के मूड में नहीं थी, लेकिन उत्तर पूर्व दिल्ली सीट पर जगदीश टाइटलर का टिकट कटने के बाद पार्टी ने वहाँ से अपने वरिष्ठ नेता और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल को मैदान में उतारा है।

संप्रग में कांग्रेस की सहयोगी राकांपा ने भी उच्च सदन की सदस्य सुप्रिया सुले को बारामती सीट से चुनाव मैदान में खडा किया है। बारामती सीट सुप्रिया के पिता राकांपा प्रमुख शरद पवार की परंपरागत सीट है, लेकिन पवार ने परिसीमन के बाद बनी नई सीट माधा से चुनाव लड़ने का फैसला किया और बेटी को बारामती से चुनावी जंग में उतार दिया।

राकांपा ने ही बिहार की कटिहार सीट से पार्टी महासचिव तारिक अनवर को चुनाव मैदान में उतारा है। बिहार में जद (यू) के अध्यक्ष शरद यादव, जो इस समय राज्यसभा सांसद हैं मधेपुरा से चुनाव लड़ रहे हैं।

जद यू द्वारा टिकट काट दिए जाने के कारण उसके राज्यसभा सदस्य दिग्विजयसिंह उच्च सदन से इस्तीफा देकर निर्दलीय ही बांका से चुनाव मैदान में डटे हैं।