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Written By भाषा

क्वात्रोच्चि मामले में मनमोहन की दलील बेतुकी-भाजपा

भाजपा
भाजपा ने बोफोर्स तोप घोटाला मामले में फँसे इतालवी व्यवसायी ओतावियो क्वात्रोच्चि के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के रुख को असंगत बताया।

भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भाजपा प्रधानमंत्री की इस बेतुकी दलील से दुःखी है कि अगर क्वात्रोच्चि के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस नहीं हटाया जाता तो भारत को विश्व समुदाय के सामने नीचा देखना पड़ता।

मनमोहन ने कहा था कि क्वात्रोच्चि का मामला भारत सरकार के लिए शर्मिंदगी का विषय बन गया है क्योंकि वह मलेशिया और अर्जेंटीना से उसका प्रत्यर्पण कराने में नाकाम रही। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इन मुल्कों की अदालतों ने कहा था कि भारत के पास क्वात्रोच्चि के खिलाफ कोई मजबूत मामला नहीं है।

क्वात्रोच्चि का नाम रेड कॉर्नर की सूची से हटाने के फैसले को सही ठहराने पर प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि यह सीबीआई की अक्षम्य हरकत का बचाव करने की ओछी कोशिश है। इससे यह भी साबित होता है कि क्वात्रोच्चि का नाम रेड कॉर्नर नोटिस की सूची से हटाने का फैसला सीबीआई का अपना निर्णय नहीं बल्कि केन्द्र की संप्रग सरकार का राजनीतिक फैसला है।

इस मामले की तुलना संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के मामले से करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि देश को दुनिया के सामने नीचा देखने की स्थिति उस वक्त क्यों नहीं पैदा हुई थी, जब उसने गुरु को फाँसी पर नहीं लटकाया था। तब तो उच्चतम न्यायालय ने भी इस कदम की निंदा की थी।

'कांग्रेस का हाथ क्वात्रोच्चि और अफजल के साथ' का नया नारा उछालते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि संप्रग वोट बैंक की राजनीति के तहत अफजल को बचाना चाहती है, जबकि क्वात्रोच्चि को बचाने की कोशिश इसलिए की जा रही है, क्योंकि उसका संबंध कांग्रेस के अगुवा परिवार से है।

भाजपा ने पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान द्वारा वहाँ हिन्दुओं और सिखों की हत्या करने और वहाँ से इन लोगों को पलायन के लिए मजबूर किए जाने पर भी गहरी चिंता व्यक्त की।

जावड़ेकर ने कहा कि हम सरकार से माँग करते हैं कि वह पाकिस्तान में रह रहे भारतीय मूल के लोगों की रक्षा के लिए फौरी कदम उठाए।

सरकार पर श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा कई अन्य देशों में भारतवंशी लोगों की सुरक्षा करने में नाकामी का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के अब तक के प्रयास सिर्फ तकनीकी ही रहे हैं और उनके कोई ठोस नतीजे सामने नहीं आए हैं।