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Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 23 अप्रैल 2024 (15:16 IST)

कांग्रेस का सवाल, आदिवासी कल्याण के लिए काम करने में विफल क्यों रहे पीएम मोदी?

modi
loksabha election 2024 : कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छत्तीसगढ़ की जनसभा की पृष्ठभूमि में प्रदेश से जुड़े कुछ विषयों को लेकर मंगलवार को उन पर निशाना साधा और सवाल किया कि वह आदिवासी कल्याण के लिए काम करने में विफल क्यों रहे?
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, 'छत्तीसगढ़ के धमतरी और जांजगीर-चांपा में रैली करने जा रहे प्रधानमंत्री से हमारे सवाल हैं। क्या छत्तीसगढ़ की जनता के राशन में कटौती मोदी की गारंटी का हिस्सा है? मोदी सरकार ने जांजगीर के कोसा सिल्क उद्योग को नज़रअंदाज़ क्यों किया? प्रधानमंत्री आदिवासी कल्याण के लिए काम करने में विफल क्यों रहे?'
 
उन्होंने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में विवाहित महिलाओं को 'मोदी की गारंटी' के माध्यम से धोखा दिया गया है। 2023 में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ने मोदी की गारंटी दी थी कि छत्तीसगढ़ में विवाहित महिलाओं को महतारी वंदन योजना के तहत 1,000 रुपए प्रति माह मिलेंगे। प्रधानमंत्री ने नहीं बताया था कि इस "गारंटी" में नियम और शर्तें भी लागू होंगी।
 
जा रहे प्रधानमंत्री से हमारे सवाल:

1. क्या छत्तीसगढ़ की जनता के राशन में कटौती मोदी की गारंटी का हिस्सा है?

2. मोदी सरकार ने जांजगीर के कोसा सिल्क उद्योग को नज़रअंदाज़ क्यों किया है?

3. प्रधानमंत्री आदिवासी कल्याण के लिए काम…

 

— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) April 23, 2024
रमेश ने कटाक्ष करने के साथ ही सवाल किया कि भारतीय जुमला पार्टी के 'ट्रैक रिकॉर्ड' को देखते हुए, क्या प्रधानमंत्री वास्तव में सोचते हैं कि लोग मोदी की गारंटी पर विश्वास कर सकते हैं?
 
उन्होंने यह आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार में जांजगीर-चांपा के सिल्क उद्योग की घोर उपेक्षा हुई है।
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि वर्ष 2006 में, भारत के आदिवासी समुदायों का दशकों पुराना संघर्ष तब समाप्त हो गया था जब कांग्रेस सरकार ने ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम पेश किया। पिछले साल, जब मोदी सरकार ने वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पेश किया तो आदिवासियों को अधिकार देने के सारे प्रयास पीछे छूट गए।
 
उन्होंने दावा किया कि नया वन अधिनियम वर्ष 2006 के वन अधिकार अधिनियम को कमज़ोर करता है, जिससे विशाल क्षेत्रों में वन मंजूरी के लिए स्थानीय समुदायों की सहमति और अन्य क़ानूनी आवश्यकताओं के प्रावधान समाप्त हो जाते हैं।
 
रमेश ने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री कभी जल-जंगल-जमीन के नारे पर दिखावा करना बंद कर आदिवासियों के कल्याण के लिए सही मायने में प्रतिबद्धता दिखाएंगे?
Edited by : Nrapendra Gupta 
 
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