इसलिए भाजपा में शामिल नहीं हो पाईं प्रियंका चतुर्वेदी
विभिन्न समाचार चैनलों पर कांग्रेस का पक्ष मजबूती से रखने वालीं प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना में शामिल तो हो गईं, लेकिन असल में वे भाजपा में शामिल होना चाहती थी, लेकिन उनका एक गाना उनकी 'महत्वाकांक्षी' योजना में रोड़ा बन गया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस छोड़ने के बाद प्रियंका की पहली पसंद भाजपा ही थी। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चतुर्वेदी की राह में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी बाधा बन गईं। दरअसल, कुछ समय पहले प्रियंका ने स्मृति की डिग्री पर कटाक्ष करते हुए टीवी चैनल पर एक गीत गुनगुनाया था, जिसका शीर्षक था 'मंत्री भी कभी ग्रेजुएट थीं...'।
प्रियंका ने कुछ इस अंदाज में गुनगुनाया था- क्वालिफिकेशन के भी रूप बदलते हैं, नए-नए सांचे में ढलते हैं, एक डिग्री आती है एक डिग्री जाती है, बनते एफिडेविट नए-नए हैं'। इसके माध्यम से चतुर्वेदी ने स्मृति पर खुलकर निशाना साधा था। यही कारण रहा कि ऐन वक्त पर उनकी भाजपा में एंट्री नहीं हो सकी।
अपने साथ हुई बदतमीजी के साथ ही प्रियंका मथुरा से टिकट चाहती थीं, लेकिन पार्टी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा भी था कि उन्होंने 10 साल पार्टी की नि:स्वार्थ सेवा की थी। यह भी कहा जा रहा है कि प्रियंका मुंबई से भी टिकट चाहती थीं।
उर्मिला मातोंडकर को टिकट मिलने से उनका असंतोष और बढ़ गया था। ऐसे में उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का मन बना लिया था। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि लोकसभा टिकट कांग्रेस छोड़ने की वजह नहीं है। प्रियंका ने पार्टी छोड़ने के लिए बदतमीजी को ही मुद्दा बनाया था।
चूंकि उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का मन बना ही लिया था और भाजपा में एंट्री नहीं हो पा रही थी। ऐसे में उन्होंने ऐसी पार्टी को चुना जो सत्ता केंद्र के निकट हो। अब देखना यह होगा कि शिवसेना में उनका कद कहां तक बढ़ता है।