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Last Updated : सोमवार, 11 मार्च 2019 (11:48 IST)

लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित होते ही खड़ा हुआ नया विवाद, भाजपा सरकार पर लगाया आरोप...

लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित होते ही खड़ा हुआ नया विवाद, भाजपा सरकार पर लगाया आरोप... - Controversy on dates of Lok Sabha elections 2019
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान रविवार को कर दिया। इन तारीखों की घोषणा होने के साथ ही एक नया विवाद शुरु हो गया है। तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तरप्रदेश में मतदान की तारीखें रमजान के महीने में पड़ रही हैं। ऐसे में मुस्लिम नेताओं और मौलानाओं ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाया है। साथ ही उन्होंने इन तारीखों को बदलने की मांग की है। साथ ही कई नेताओं ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि भाजपा नहीं चाहती कि मुस्लिम वोट डाल पाएं।

कोलकाता के मेयर और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता फरहाद हाकिम ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है और हम उसका सम्मान करते हैं। हम चुनाव आयोग के खिलाफ कुछ नहीं कहना चाहते, लेकिन सात फेज में होने वाले चुनाव बिहार, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए कठिन होंगे।

इतना ही नहीं इन चुनावों में सबसे ज्यादा परेशानी मुस्लिमों को होगी, क्योंकि वोटिंग की तारीखें रमजान के महीने में रखी गई हैं। उन्होंने कहा कि तीनों राज्यों (यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल) में मुस्लिमों की आबादी बहुत अधिक है। मुस्लिम रोजा रखेंगे और अपना वोट भी डालेंगे, यह बात चुनाव आयोग को ध्यान में रखनी चाहिए। फरहाद हाकिम ने आरोप लगाया कि भाजपा चाहती है कि अल्पसंख्यक अपना वोट न डाल पाएं, लेकिन हम चिंतित नहीं हैं। लोग अब बीजेपी हटाओ-देश बचाओ के लिए प्रतिबद्ध है।

तारीख बदलने की मांग : इस्लामिक स्कॉलर, लखनऊ ईदगाह के इमाम और शहर काजी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने चुनाव आयोग से मांग की है कि इन तारीखों को रमजान से पहले या फिर ईद के बाद रखा जाए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने यूपी में 6, 12 और 19 को भी वोट डालने का कहा है जबकि 5 मई को रमजान मुबारक का चांद दिख सकता है, 6 से रमजान का मुबारक महीना शुरू होगा।

तीनों तारीखें रमजान के महीने में पड़ेंगी जिससे मुसलमानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव की तारीखें रमजान से पहले या ईद के बाद रखें, ताकि अधिक से अधिक मुसलमान अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
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