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Written By WD

दामिनी मर नहीं सकती...

ऋषि गौतम

Delhi Gang Rape Case | दामिनी मर नहीं सकती...
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दामिनी जिंदा है और हमेशा जिंदा रहेगी। हमें दामिनी के जिंदा रखना होगा। हम सबका यह नैतिक दायित्व है कि हम दामिनी को जिंदा रखें। आज,कल और हमेशा उसे जिंदा रखें। उसकी लौ हम सबके दिलों में हमेशा जलती रहनी चाहिए।

केस का फैसला आ जाने के बाद उसके साथ कितना न्याय हुआ यह हम सबको पता है लेकिन उसे जिंदा रखना होगा। आज,कल और हमेशा-हमेशा के लिए।



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उसके साथ जो हुआ,उसकी आत्मा पर जो घाव लगे,इंसान के रूप में कुछ भेड़ियों ने जैसे उसे नोंचा उसके लिए तो बड़ी से बड़ी सजा भी कम ही होगी। उसके लिए इससे बड़ा न्याय और क्या हो सकता है कि उसे हम कभी भुलाएं नहीं और उसकी कुर्बानी को हमेशा याद रखें।

यह प्रण लें कि अब किसी और नारी की आत्मा ऐसे छलनी नहीं होगी। उससे यह वादा करें कि उसे कभी इतिहास नहीं बनने देगें। इतिहास के धूल खाते पन्नों में उसे शामिल नहीं होने देगें। दामिनी आज बनकर हमेशा हमारे साथ जिंदा रहेगी। यही उसके लिये पूरा न्याय और सच्ची श्रद्धांजलि होगी।



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आखिर हम भूल भी कैसे सकते हैं 16 दिसंबर 2012 की उस मनहूस रात को जब देश की राजधानी की सड़कों पर चलती बस में 23 साल की छात्रा के साथ 6 दरिंदों ने सामूहिक बलात्कार किया और फिर उसे चलती बस से फेंक दिया।

बावजूद इसके उसने हार नहीं मानी और 13 दिन तक जिंदगी से जंग लड़ती रही और फिर हमसे रूखसत हो गई। हम कैसे भूल सकते हैं राजधानी दिल्ली में हुए उस गैंगरेप को जिसने न सिर्फ पूरे देश को बल्कि मानवता को भी हिलाकर रख दिया था।

हम कैसे भुला सकते हैं कि'दामिनी' ने अपनी कुर्बानी से जाति,धर्म की सियासी घुट्टी पिए और आजाद होने के मुगालते पाले पूरे भारतीय समाज को गहरी नींद से जगा दिया। इस वक्त देश में महिलाओं की अस्मत की रक्षा और सामाजिक सम्मान से जुड़ा विमर्श तेज हो गया है। उसके साथ हुई दरिंदगी की खबर के साथ समूचा भारतीय समाज उठ खड़ा हुआ और विजय चौक को अपने गुस्से की अभिव्यक्ति का मंच बनाया। विजय चौक की आवाज सरकार के कानों में पहुंची तो उसकी भी कुंभकर्णी नींद टूट गई और उसका असर चार्जशीट के रूप में नजर आया है।

क्या ऐसी दामिनी को आप मरने देंगे? नहीं बिल्कुल नहीं... दामिनी मरी नहीं... दामिनी मरा नहीं करतीं क्योंकि आज अगर दामिनी हमारे बीच मर गई तो एक संस्कृति, एक युग खत्म हो जाएगा। हम हर बार इतने जाग्रत नहीं होते अगर होते तो यह घटना नहीं होती हमें दामिनी को जिंदा रखना ही होगा। दामिनी मरी नहीं, दामिनी मर नहीं सकती।