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Written By Author पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे

कुंडली में प्रेम विवाह का पंचम स्थान

कुंडली में प्रेम विवाह का पंचम स्थान
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समाज के सुचारु संचालन में विवाह भी प्रमुख भूमिका निभाता है। विवाह मर्यादा, कर्तव्य, प्रेम और विश्वास का संयुक्त रूप है। विवाह को किसी बंधन का नाम न देते हुए सामाजिक व्यवस्था का मूल माना जाना चाहिए। इसमें समाज व्यवस्थित रहता है।

हिन्दू धर्म के अनुसार, प्राचीन धर्मग्रंथों, शास्त्रों में मनुष्य जीवन में सोलह संस्कार बताए गए हैं। इनमें से विवाह संस्कार उल्लेखनीय भूमिका निभाता है। विवाह संस्कार जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है।

जीवन जीने के लिए गृहस्थाश्रम में प्रवेश कैसे और किस योग से होता है, यह जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण है। मनुष्य की कुंडली में इसका उल्लेख अवश्य मिलता है। कुछ कुंडलियों में जातक के सामान्य विवाह का योग होता है तो कुछ कुं‍डलियों में प्रेम विवाह का योग भी बनता है।
  हिन्दू धर्म के अनुसार, प्राचीन धर्मग्रंथों, शास्त्रों में मनुष्य जीवन में सोलह संस्कार बताए गए हैं। इनमें से विवाह संस्कार उल्लेखनीय भूमिका निभाता है। विवाह संस्कार जीवन का सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है।      


कैसे होता है प्रेम विवाह? आइए विभिन्न अध्ययनों और जीवन-संसार में देखे गए अनेक अनुभवों के आधार पर बताते हैं कि यह किन ग्रहों के प्रभाव से गृहत्याग करने पर मजबूर करता है और अपना नाम प्रेम विवाह बताता है।

अधिकांश यह देखने में आता है कि वृषभ लग्न, कर्क लग्न, तुला लग्न, मेष लग्न, वृश्चिक लग्न तथा कुंभ लग्न की पत्रिका में प्रेम विवाह का ‍योग बनता है। यहाँ दी गई कुंडली में वृश्चिक लग्न की कुंडली दर्शाई है। विवाह और दाम्पत्य का संबंध सीधा सप्तम भाव से होता है परंतु इन लग्नों में प्रेम विवाह के लिए पंचम भाव और सप्तम भाव का संबंध होता है।

अर्थात पंचम भाव का स्वामी और सप्तम भाव का स्वामी एक साथ बैठा हो या दृष्टि संबंध हो रहा हो तो प्रेम विवाह निश्चित होता है। पंचम भाव प्रेम भावना का स्थान है तथा सप्तम भाव विवाह का स्थान होता है। प्रेम विवाह के लिए मंगल-शनि, मंगल-शुक्र, चंद्र-शुक्र की युक्ति भी इस योग को बढ़ावा देती है और योग बनाती है।

यदि प्रेम विवाह हो जाता है तो उसकी सफलता पंचमेश, सप्तमेश और लग्नेश, द्वादेश गृह के संबंधों पर निर्भर करती है। प्रेम विवाह के लिए तीसरे भाव का स्वामी का उच्च या बलवान होना बहुत ही आवश्यक है। यही जातक को हिम्मत प्रदान करता है।