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Written By DW

मिलन सौरमंडल का आकाशगंगा से

सौर मंडल
- राम यादव

पृथ्वी से 16 अरब किलोमीटर दूर हमारे सौरमंडल का आकाशगंगा से अद्भुत मिलन होता है। गैसीय अणुओं-परमाणुओं की एक अदृश्य झीनी पट्टी वहाँ किसी तावीज की तरह हमें घातक ब्रह्मांडीय किरणों से बचाती है।

इंटर स्टीलर बाउन्ड्री एक्सप्लोरर, संक्षेप में आइबेक्स (IBEX) कहलाने वाला अमेरिकी अन्वेषण यान केवल तीन फिट व्यास और डेढ़ फिट की ऊँचाई वाला एक लघु उपग्रह है। वह लगभग चंद्रमा की ऊँचाई पर जाकर पृथ्वी की परिक्रमा करता है और इस दौरान उस जगह के डेटा और चित्र भेजता है, जहाँ सौर-आँधियाँ आकाशगंगा की ओर से आने वाली ब्रह्मांडीय किरणों से टकराती हैं। वैज्ञानिक पूरे सौरमंडल को किसी बुलबुले की तरह घेरने वाली इस जगह को हेलियोस्फियर कहते है।

आइबेक्स मिशन के प्रोग्राम वैज्ञानिक डॉ. एरिक क्रिस्टयन इस बुलबुले को इस प्रकार समझाते हैं, 'हम सूर्य के वातावरण में रहते हैं। विश्वास करना कठिन है कि सूर्य से करीब 16 लाख किलोमीटर प्रतिघंटे वाली एक ऐसी हवा आती और चारों तरफ फैलती है, जिसने अंतरिक्ष में हवा का एक बुलबुला बना दिया है। सौर प्रणाली से बाहर आकाशगंगा से भी एक हवा आती है, जो सूर्य के बनाए बुलबुले के चारों ओर बहती है। हम समझते हैं कि अंतरिक्ष तो बिल्कुल शून्य है, वहाँ कुछ है ही नहीं। हाँ, लेकिन यह बहुत ही पतली विरल हवा है, जो सूर्य का वायुमंडल बनाती है। तब भी उसका प्रभाव देखने में आता है, उसे मापा जा सकता है। यही बुलबुला हेलियोस्फियर है।'

गैसीय परमाणुओं का बुलबुला : हेलियोस्फियर कहलाने वाले इस बुलबुले की बाहरी सीमा हाइड्रोजन, हीलियम और ऑक्सीजन के परमाणुओं की बनी हुई एक पतली-सी पट्टी के समान है। बिना चार्ज वाले, यानी बिना किसी विद्युत आवेश वाले ये परमाणु आकाशगंगा की ओर से आने वाले विकिरण और सौर-पवन के साथ आने वाले विद्युत आवेशधारी कणों की टक्कर से बनते हैं। यही जगह सौरमंडल और आकाशगंगा के बीच की एक तरह से सीमारेखा है। उसकी चमक को सामान्य दूरदर्शी नहीं पकड़ सकते, पर उसे मापा-नापा जा सकता है।

आइबेक्स मिशन के मुख्य प्रभारी डॉ. डेविड मैक्कॉमस बताते हैं, 'आइबेक्स 10 इलेक्ट्रॉन वोल्ट से लेकर 6000 इलेक्ट्रॉन वोल्ट तक के कणों को दर्ज कर सकता है। विद्युत आवेश रहित हाइड्रोजन परमाणु करीब 8 लाख किलोमीटर से लेकर 40 लाख किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से आते हैं। इस कारण हेलियोस्फियर वाली पट्टी बदलती रहती है, कहीं ज्यादा मोटी होती है, कहीं कम। इस पट्टी में कई बारीक बनावटें भी पाई पाई गई हैं, जो अधिक चमकीली हैं। आइबेक्स ने हीलियम के अलावा तारों के बीच की अंतरतारकीय हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का भी पता लगाया है।'

ब्रह्मांडीय विकिरण से रक्षा : अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक दशक के भीतर सौरपवन के दबाव में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसका अर्थ है कि हेलियोस्फियर का आकार इस दौरान घटा है। यानी सौर सक्रियता भी घटी है। दूसरी ओर पृथ्वी पर हमारे जीवन के लिए हेलियोस्फियर बहुत निर्णायक महत्व का है, यह कहना है नासा की वैज्ञानिक लिंडसे बैर्टोलन का।

लिंडसे कहती हैं, 'हेलियोस्फियर बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह बाहर से आने वाले ब्रह्मांडीय विकिरण से हमारी रक्षा करता है। यह विकिरण जब उसके पास पहुँचता है, तब वह उसे छितरा देता है। विकिरण का बहुत कम हिस्सा ही उसे पार कर पाता है। हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि ब्रह्मांडीय विकिरण का जो हिस्सा पृथ्वी के निकट पहुँचता है, उससे पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र हमारी रक्षा करता है।'