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Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 18 सितम्बर 2014 (14:36 IST)

चूहे में इंसानी दिमाग

चूहे में इंसानी दिमाग - rat brain
मस्तिष्क के प्रत्यारोपण की दिशा में वैज्ञानिकों ने एक अहम कदम आगे बढ़ाया है। मानव दिमाग का अहम जीन जब उन्होंने चूहे में प्रत्यारोपित किया तो पाया कि चूहे का दिमाग सामान्य से ज्यादा तेज चलने लगा।

रिसर्चरों के मुताबिक इस रिसर्च का लक्ष्य यह देखना था कि अन्य प्रजातियों में मानव दिमाग का कुछ हिस्सा लगाने पर उनकी प्रक्रिया पर कैसा असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रत्यारोपण के बाद चूहा अन्य चूहों के मुकाबले अपना खाना ढूंढने में ज्यादा चालाक पाया गया। उसके पास नए तरीकों की समझ देखी गई।

एक जीन के प्रभाव को अलग करके देखने पर क्रमिक विकास के बारे में भी काफी कुछ पता चलता है कि इंसान में कुछ बेहद अनूठी खूबियां कैसे आईं। जिस जीन को प्रत्यारोपित किया गया वह बोलचाल और भाषा से संबंधित है, इसे फॉक्सपी2 कहते हैं। जिस चूहे में ये जीन डाला गया उसमें जटिल न्यूरॉन पैदा हुए और ज्यादा क्षमतावान दिमाग पाया गया। इसके बाद मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट के रिसर्चरों ने चूहे को एक भूलभुलैया वाले रास्ते से चॉकलेट ढूंढने की ट्रेनिंग दी। इंसानी जीन वाले चूहे ने इस काम को 8 दिनों में सीख लिया जबकि आम चूहे को इसमें 11 दिन लग गए।

इसके बाद वैज्ञानिकों ने कमरे से उन तमाम चीजों को निकाल दिया जिनसे रास्ते की पहचान होती हो। अब चूहे रास्ता समझने के लिए सिर्फ फर्श की संरचना पर ही निर्भर थे। इसके विपरीत एक टेस्ट यूं भी किया गया कि कमरे की चीजें वहीं रहीं लेकिन टाइल्स निकाल दी गई। इन दोनों प्रयोगों में आम चूहों को मानव जीन वाले चूहों जितना ही सक्षम पाया गया। यानि नतीजा यह निकला कि उनको सिखाने में जो तकनीक इस्तेमाल की गई है वे सिर्फ उसी के इस्तेमाल होने पर ज्यादा सक्षम दिखाई देते हैं।

मानव दिमाग का यह जीन ज्ञान संबंधी क्षमता को बढ़ाता है। यह जीन सीखी हुई चीजों को याद दिलाने में मदद करता है। जबकि बगैर टाइल या बगैर सामान के फर्श पर खाना ढूंढना उसे नहीं सिखाया गया था इसलिए उसे वह याद भी नहीं था। लेकिन दिमाग सीखी हुई चीजों को याददाश्त से दोबारा करने और बेख्याली में कोई काम करने के बीच अदला बदली करता रहता है। जैसे कोई छोटा बच्चा जब कोई नए शब्द सुनता है तो उन्हें दोहराता है लेकिन इसी बीच वह बेख्याली में अन्य पहले से याद शब्द भी बोलने लगता है। इस रिसर्च का यह भी अहम हिस्सा है कि दिमाग में ऐसा कैसे होता है।

- एसएफ/एएम (रॉयटर्स)