भारत: गति नहीं पकड़ पा रहा उत्पादन क्षेत्र
ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में औद्योगिक उत्पादन क्षेत्र में जुलाई 2022 में पिछले साल की तुलना में सिर्फ 2.4 प्रतिशत का विकास हुआ है। पिछले साल इस क्षेत्र में 11.5 प्रतिशत का विकास देखा गया था।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2022 में औद्योगिक उत्पादन (आईआईएपी) में पिछले साल के मुकाबले सिर्फ 2.4 प्रतिशत विकास दर्ज किया गया। यह आंकड़ा महामारी के बाद अर्थव्यवस्था के हाल की चिंताजनक तस्वीर पेश रहा है।
ये आंकड़े दिखा रहे हैं कि 2020 में महामारी और लॉकडाउन के अर्थव्यवस्था पर चोट के बाद 2021 में आर्थिक गतिविधि के फिर खुलने की वजह से जो अच्छा असर दिखा था वो अब फीका पड़ गया है। 2021 में इसी अवधि में आईआईएपी में 11.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई थी।
जून 2022 में भी 12.7 विकास देखा गया था लेकिन जुलाई में इसका इतना नीचे गिर जाना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है। आईआईपी के तहत आने वाले तीन मुख्य क्षेत्रों में से उत्पादन क्षेत्र में 3.2 प्रतिशत बढ़त देखी गई। यह क्षेत्र आईआईपी के 77 प्रतिशत का जिम्मेदार होता है, लिहाजा इसमें गिरावट पूरे आईआईपी को नीचे ले आती है।
महामारी का असर
एक साल पहले इस क्षेत्र में 10.5 प्रतिशत और एक महीने पहले 13 प्रतिशत बढ़त दर्ज की गई थी। बिजली उत्पादन में जुलाई में 2.3 प्रतिशत बढ़त दर्ज की गई। खनन क्षेत्र में तो 3.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। पूंजीगत वस्तुओं में जुलाई में 5.8 प्रतिशत बढ़त दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले इस क्षेत्र में 30.3 प्रतिशत बढ़त देखी गई।
एक महीने पहले यह क्षेत्र 29.1 प्रतिशत बढ़ा था। टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में 2.4 प्रतिशत विकास हुआ और गैर टिकाऊ वस्तुओं में दो प्रतिशत गिरावट देखने को मिली। विशेषज्ञों का कहना है कि ये आंकड़े दिखा रहे हैं कि अर्थव्यवस्था अभी भी महामारी के असर से पूरी तरह से निकली नहीं है।
भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी से पहले ही नोटेबंदी और जीएसटी के झटकों के असर से जूझ रही थी। महामारी ने संकट को और विकराल बना दिया। 2020-2021 के दौरान भारी संख्या में लोगों की नौकरियां गईं और आय में कमी हुई। करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए।
त्योहारों से उम्मीद
पहले से गिरी हुई खपत और नीचे चली गई। ताज आंकड़े इस बात की ओर भी इशारा कर रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में खपत अभी भी वापस नहीं आई है। उम्मीद जताई जा रही है कि त्योहारों का मौसम आने वाला है, जिसमें अमूमन लोग खरीदारी करते हैं।
लेकिन खरीदरी तब ही होगी जब लोगों की आय बढ़ी हो और अति आवश्यक चीजों के अलावा कुछ और खरीदने की उनकी क्षमता होगी। उसके ऊपर से महंगाई भी नीचे आने का नाम नहीं ले रही है। देखना होगा कि त्योहारों के मौसम में अर्थव्यवस्था का कैसा हाल रहता है।