शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. friendship between humans and dogs is the oldest on earth
Written By DW
Last Modified: शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020 (22:24 IST)

धरती पर इंसान और कुत्तों की दोस्ती सबसे पुरानी है

धरती पर इंसान और कुत्तों की दोस्ती सबसे पुरानी है - friendship between humans and dogs is the oldest on earth
कुत्ते इंसान के सबसे पुराने दोस्त हैं। नई रिसर्च बता रही है कि यह दोस्ती उस वक्त से चली आ रही है जब इंसान ने खेती बाड़ी भी शुरू नहीं की थी। जिन कुत्तों को आज हम देखते हैं उनका अस्तित्व और रंग रूप तब भी इतना ही अलग था।
 
धरती पर कुत्तों की आबादी में जो विविधता आज हम देखते हैं उनमें से ज्यादातर उस वक्त भी मौजूद थी जब हिमयुग का अंत हुआ यानी करीब 11 हजार साल पहले। प्राचीन डीएनए के नमूनों की एक रिसर्च से यह बात सामने आई है। साइंस जर्नल में छपी रिपोर्ट बताती है कि कैसे कुत्ते धरती के कोने-कोने में इंसानों के दोस्त के रूप में फैले हुए थे।
 
फ्रांसिस क्रीक इंस्टीट्यूट के नेतृत्व में 27 कुत्तों के जीनोम का सीक्वेंस तैयार किया गया है। इनमें से कुछ 11000 साल पहले जीवित थे। ये पूरे यूरोप, पश्चिम एशिया, तुर्की, मिस्र और साइबेरिया में रह रहे थे। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि दूसरे पशुओं को पालतू बनाने के पहले कम से कम 5 अलग तरह के कुत्ते मौजूद थे जिनके पूर्वजों की जीन संरचना अलग थी।
 
आज के कुत्तों की उत्पत्ति हिमयुग में
रिसर्च रिपोर्ट के वरिष्ठ लेखक पोंटस स्कोगलुंड का कहना है कि "आज गलियों में जिन कुत्तों को आप देखते हैं उनमें से कुछ की उत्पत्ति हिमयुग में हुई थी। इस युग का अंत होने के पहले कुत्ते पूरे उत्तरी गोलार्ध में फैल चुके थे बल्कि उससे पहले जब इंसान शिकारी था पाषाण काल और पुरापाषाण युग में भी यानी कृषि से बहुत पहले।" कुत्ते की प्रजाति भेड़िये की प्रजाति से कब अलग हुई यह थोड़ा विवादित विषय है। हालांकि जीन के आंकड़ों का अध्ययन संकेत देता है कि यह करीब 25000-40000 साल पहले हुआ होगा।
 
नई रिसर्च इस विवाद में नहीं घुसना चाहती। हां, वह इस विचार के पक्ष में है कि सूअर जैसे जीव अलग अलग जगहों पर पालतू बनाए गए लेकिन भेड़िये से कुत्ते का अलगाव "एक ही बार" में हो गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि सारे कुत्ते एक ही पूर्वज से निकले हैं। वह भेड़ियों की एक आबादी थी जो अब लुप्त हो चुकी है। जीन का अध्ययन बताता है कि पालतू बनाने के बाद भेड़िये से कुत्तों में जीन का बहाव बहुत कम हुआ लेकिन कुत्ते से भेड़िये में जीन का बहाव ठीक ठाक मात्रा में हुआ है।
 
हड्डियों से प्राचीन डीएन निकालकर और उसका विश्लेषण करने के बाद रिसर्चर उसमें उत्पत्ति के दौरान हुए ऐसे बदलावों को देख सके जो हजारों साल पहले हुए। उदाहरण के लिए यूरोपीय कुत्ते चार से पांच हजार साल पहले बहुत अलग थे और ऐसा लगता है कि उनकी उत्पति एक बिल्कुल अलग पश्चिम एशियाई और साइबेरियाई कुत्तों से हुई थी। हालांकि समय के साथ यह बहुरुपता लुप्त हो गई। रिसर्च रिपोर्ट के लेखक एंडर्स बेर्गस्ट्रोम का कहना है कि "आज यूरोपीय कुत्तों के आकार और रंगों में असाधारण विविधता दिखाई देती है लेकिन ये एक बहुत कम विविधता वाली प्रजातियों से निकली है जो कभी वहां मौजूद थी।"
 
उत्पत्ति की राह
इंसान और कुत्तों की उत्पत्ति एक समान रास्तों पर आगे बढ़ी है। उदाहरण के लिए इंसानों में चिम्पैंजी की तुलना में सैलिवरी एमाइलेज जीन की ज्यादा कॉपियां होती हैं। यह जीन पचाने वाले एंजाइम पैदा करती है जो ड्यादा स्टार्च वाले भोजन को तोड़ने में मदद करते हैं।

इसी तरह इस रिसर्च रिपोर्ट ने दिखाया है कि शुरुआती कुत्तों में इन जीनों की कॉपियां भेड़ियों की तुलना में ज्यादा थीं। उनका खान-पान कृषि जीवन के हिसाब से ढलने पर यह समय के साथ बढ़ता गया। नई रिसर्च में ऐसे कई समयकाल का जिक्र है जब इंसान की गतिविधियों ने कुत्तों के विस्तार में बड़ी भूमिका निभाई। 2018 में एक रिसर्च ने पता लगाया कि उत्तरी अमेरिका के पहले कुत्ते साइबेरिया की प्रजाति के वंशज थे, हालांकि जब वहां यूरोपीय कुत्ते पहुंचे तो यह प्रजाति पूरी तरह लुप्त हो गई।
 
ऐसे भी दौर रहे हैं जब हमारा इतिहास समानांतर नहीं चल रहा था। उदाहरण के लिए यूरोप के कुत्तों में जो शुरुआती विविधता थी वह इसलिए खत्म हो गई क्योंकि कुत्ते के एक वंश ने दूसरे सभी प्रजातियों की जगह ले ली। प्राचीन डीएनए के अध्ययन ने हमारे पूर्वजों के बारे में अध्ययन में क्रांतिकारी बदलाव किया है। रिसर्चरों को उम्मीद है कि यही काम कुत्तों के बारे में भी हो सकेगा जो इंसान के सबसे पुराने दोस्त रहे हैं। बेर्गस्ट्रोम कहते है- "कुत्तों के इतिहास को समझने से न सिर्फ हमें उनके इतिहास का पता चलेगा बल्कि हमारे अपने इतिहास का भी।" एनआर/ एमजे (एएफपी)
ये भी पढ़ें
न्यूजीलैंड में इच्छामृत्यु को भारी समर्थन