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Written By DW
Last Modified: बुधवार, 17 मई 2023 (08:09 IST)

भारत पर भारी पड़ सकता है ईयू का नया कार्बन टैक्स

India-EU Trade and Technology Council meeting
चारु कार्तिकेय
India-EU Trade and Technology Council meeting: मोदी सरकार के तीन मंत्री ब्रसेल्स में भारत-ईयू व्यापार और तकनीक परिषद की शीर्ष बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। बैठक से बड़ी घोषणाओं की उम्मीद नहीं की जा रही है, लेकिन ईयू के एक नियम को लेकर दोनों पक्षों के बीच तनाव है।
 
इस परिषद की घोषणा 2022 में यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फोन डेय लायन की भारत यात्रा के दौरान हुई थी। फरवरी 2023 में आधिकारिक रूप से परिषद की स्थापना की गई और अब बेल्जियम में इसकी पहली शीर्ष बैठक हो रही है।
 
परिषद का उद्देश्य भारत और ईयू के बीच व्यापार और तकनीक के क्षेत्रों में रणनीतिक संबंधों को बढ़ाना। इसमें कई कार्य समूह हैं जिनके जरिए दोनों पक्ष कनेक्टिविटी, ग्रीन टेक्नोलॉजी और लचीले सप्लाई चेन जैसे अति आवश्यक क्षेत्रों में मिल कर काम करेंगे।
 
ईयू का कार्बन टैक्स
भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव इसके सह-अध्यक्ष हैं। ईयू की तरफ से एग्जेक्टिव वाइस प्रेजिडेंट मार्गरेथ वेस्तागेर और वाल्दिस दोमब्रोव्सकिस सह-अध्यक्ष हैं।
 
ब्रसेल्स बैठक में ये सभी नेता हिस्सा ले रहे हैं। वैष्णव की जगह राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर हिस्सा ले रहे हैं। बैठक में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी, जिनमें भारत और ईयू के बीच मुक्त व्यापार संधि पर चल रही बातचीत भी शामिल है।
 
बैठक के दौरान जिस विवादास्पद विषय पर चर्चा हो सकती है वो है हाल ही में ईयू द्वारा मंजूर किया गया ईयू कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म। इसके तहत जनवरी 2026 से दूसरे देशों से ईयू आने वाले कुछ उत्पादों पर एक तरह का कार्बन टैक्स लगेगा।
 
व्यापार में अवरोधक?
यह टैक्स उन देशों के उत्पादों के आयात पर लगेगा जहां उत्पादन मुख्य तौर पर कोयले से मिलने वाली ऊर्जा पर निर्भर है। इनमें भारत भी शामिल है, लिहाजा भारत से स्टील, एल्यूमीनियम, सीमेंट और खाद जैसे उत्पाद ईयू निर्यात करने वाली कंपनियों को यह कर भरना पड़ेगा। इससे उत्पादों का दाम भी बढ़ सकता है।
 
भारत इस कर का विरोध कर रहा है। सरकार ने कहा है कि यह व्यापार के रास्ते में एक अवरोधक है और इससे विश्व व्यापार संगठनों के नियमों का उल्लंघन भी हो सकता है। अब देखना होगा कि ब्रसेल्स बैठक में इस कर पर बातचीत आगे बढ़ती है या नहीं।
 
लेकिन बैठक सामरिक लिहाज से दोनों पक्षों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। भारत और ईयू आपसी व्यापारिक रिश्तों को और गहरा करने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच मुक्त व्यापार संधि पर बातचीत सालों पहले शुरू हुई थी। यह बातचीत बीच में कुछ सालों तक आगे नहीं बढ़ पाई लेकिन इसे हाल ही में फिर से शुरू किया है।
 
व्यापार और तकनीक परिषद का उद्देश्य भी दोनों पक्षों के व्यापारिक संबंधों को बढ़ाना ही नजर आता है। ऐसे में परिषद के तहत पहली शीर्ष बैठक बेहद महत्वपूर्ण है।
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