मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. दो वैक्सीनों के मिक्स से कोरोना पर डबल फायर
Written By DW
Last Updated : शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021 (17:02 IST)

दो वैक्सीनों के मिक्स से कोरोना पर डबल फायर

Corona vaccine | दो वैक्सीनों के मिक्स से कोरोना पर डबल फायर
दुनियाभर में कोरोनावायरस के करीब 4,000 वैरिएंट घूम रहे हैं। ब्रिटेन में कोरोना की दो अलग-अलग वैक्सीनों को मिक्स कर टीका लगाने का प्रयोग शुरू हो गया है। ऐसे प्रयोग की जरूरत क्यों पड़ी? ब्रिटेन के टीकाकरण प्रभारी मंत्री के मुताबिक पूरी दुनिया में कोरोना के करीब 4,000 वैरिएंट मौजूद हैं। ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों में कोरोनावायरस बहुत ज्यादा म्युटेट हो चुका है। इतने ज्यादा वैरिएंट्स का कारण यही है। इन तीनों देशों में सामने आए वैरिएंट ज्यादा तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहे हैं।
 
ब्रिटिश टीकाकरण प्रभारी मंत्री नदीम जहावी ने कहा कि फाइजर-बायोनटेक, मॉडर्ना, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और अन्य सभी निर्माता यह जांच रहे हैं कि किसी भी वैरिएंट से निपटने के लिए वैक्सीन को और ज्यादा कारगर कैसे बनाया जाए? फिलहाल दुनियाभर में अभी कोविड के करीब 4,000 वैरिएंट हैं।
 
इसके साथ ही गुरुवार को ब्रिटेन में सरकार की फंडिंग से मिक्स टीकाकरण स्टडी शुरू की गई है। शोध के लिए 800 से ज्यादा प्रतिभागियों को चुना गया है। सभी की उम्र 50 साल से ज्यादा है। इन लोगों को अदला-बदली कर एस्ट्राजेनेका और फाइजर की कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। यूके के डिप्टी चीफ मेडिकल अफसर जॉनाथन वैन टैम कहते हैं कि यह शोध हमें खीझ पैदा करने वाली इस बीमारी के खिलाफ आगे रहने में अहम जानकारी देगा।
 
एंटीबॉडी प्रोडक्शन पर नजर
 
शोध 13 महीने तक चलेगा। इस दौरान प्रतिभागियों को चार हफ्ते और 12 हफ्ते के अंतराल में फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के टीके लगाए जाएंगे। मिक्स वैक्सीन के जरिए वैज्ञानिक यह जानना चाहते हैं कि क्या दो अलग टीकों की मदद से शरीर कोरोना के खिलाफ ज्यादा एंटीबॉडी बना सकता है?
 
एस्ट्राजेनेका और फाइजर की वैक्सीन बिलकुल अलग-अलग तकनीक से बनाई गई है। फाइजर की वैक्सीन एमआरएनए कहे जाने वाले जेनेटिक कोड से बनाई गई है, वहीं एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन जुकाम पैदा करने वाले कॉमन कोल्ड वायरस के जीन से बनाई गई है।
 
कोरोना वैक्सीन की मिक्स डोज का प्रयोग क्यों?
 
ताजा मेडिकल स्टडी के बाद रूस ने दावा किया है कि उसकी कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक-5 भी 91 फीसदी कारगर है। दुनियाभर में फिलहाल कोरोनावायरस के खिलाफ 6 वैक्सीनें इस्तेमाल की जा रही हैं। इनमें फाइजर-बायोनटेक, मॉडर्ना, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन, भारत की कोवैक्सीन, चीन की सिनोवैक और रूस की स्पुतनिक हैं। जॉनसन एंड जॉनसन समेत कुछ और कंपनियां भी अपनी वैक्सीन का ट्रॉयल कर रही हैं।
 
6 वैक्सीनों के सामने आने के बावजूद टीकाकरण अभियान में खासी चुनौतियां आ रही हैं। कोई भी वैक्सीन कंपनी अकेले इस हालत में नहीं है कि वह इस साल के अंत तक किसी एक महाद्वीप की मांग भी पूरी कर सके। वैज्ञानिकों के मुताबिक दुनिया के कोने-कोने तक वैक्सीन पहुंचने से पहले कोरोना फैलता रहेगा। यही वजह है कि अब वैक्सीनों को मिक्स करने का प्रयोग शुरू किया गया है। अगर प्रयोग सफल रहा तो एक पहली बार दिए गए टीके को रिपीट करने का दबाव नहीं रहेगा। दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर से निकले कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर में अब तक 22 लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
 
ओएसजे/एके (रॉयटर्स, एएफपी)
ये भी पढ़ें
Bihar News : क्या अभिव्यक्ति की आजादी तो नहीं छीन रही बिहार सरकार