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Written By भाषा
Last Modified: एडीलेड (भाषा) , सोमवार, 28 जनवरी 2008 (14:36 IST)

स्टंप माइक्रोफोन सबूत नहीं-बीसीसीआई

स्टंप माइक्रोफोन सबूत नहीं-बीसीसीआई -
हरभजन सिंह पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ की गई अपील पर मंगलवार से शुरू होने वाली दो दिवसीय सुनवाई के दौरान यदि स्टंप माइक्रोफोन में दर्ज बातचीत के अंशों को ताजा सबूत के तौर पर पेश किया जाता है तो भारतीय क्रिकेट बोर्ड उसे स्वीकार नहीं करेगा।

भारतीय बोर्ड के एक शीर्ष अधिकारी ने आज कहा कि इन सबूतों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा सकता है। हम इतने दिनों बाद उभरे इन तथाकथित ताजा सबूतों को पेश करने की अनुमति नहीं देंगे।

आईसीसी के अपीली आयुक्त न्यायमूर्ति जॉन हेनसन ने आज इससे पहले सुनवाई की प्रक्रिया का ब्योरा दिया। इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य स्टंप माइक्रोफोन से उपलब्ध बातचीत के अंशों को अतिरिक्त सबूत के तौर पर पेश किया जाना भी शामिल है।

न्यूजीलैंड हाईकोर्ट के जज हेनसन ने कहा कि कुछ अतिरिक्त सबूतों को पेश किया जा सकता है जैसे कि स्टंप माइक्रोफोन से उपलब्ध बातचीत के अंश जो कि मिस्टर माइक प्राक्टर को नहीं मिल पाए थे।

बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी आई. एस. बिंद्रा पिछले सप्ताह से ही यहाँ हैं तथा उन्होंने इस विवादास्पद मसले को सुलझाने की कवायद के सिलसिले में अपनी शाम क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) के अध्यक्ष क्रेग ओ कोनोर के साथ बिताई।

हरभजन मामले के बाद से ही भारतीय क्रिकेट बोर्ड श्रृंखला बीच में ही छोड़ने की धमकी देता रहा है और यदि आगामी एकदिवसीय दौरा रद्द होता है तो इससे दोनों बोर्डों को नुकसान होगा।

बिंद्रा के प्रयासों के बावजूद भी यह देखना अभी बाकी है क्या क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया अपने कप्तान रिकी पोंटिंग पर इस मामले में नरम रवैया अपनाने के लिए दबाव बनाएगा।

न्यायमूर्ति हेनसन के बयान ने भी हालाँकि इसका मौका दे दिया है। उन्होंने सुनवाई की जो प्रक्रिया तैयार की उसके अनुसार सभी गवाहों को फिर से सुनवाई के लिए उपस्थित होना पड़ेगा। इससे सबंधित पक्षों को अपना बयान बदलने या सिडनी में उन्होंने जो रवैया अपनाया था उसमें सुधार करने का अवसर मिलेगा।

इतना सब कुछ होने के बावजूद भारतीय बोर्ड ने किसी वकील की व्यवस्था नहीं की है। सिडनी में भी इस तरह की कोई मदद टीम को नहीं मिली थी और यहाँ भी कोई वकील उपस्थिति नहीं रहेगा हालाँकि बीसीसीआई के भावी अध्यक्ष शशांक मनोहर के पिता वी आर मनोहर भारत से फोन पर मार्ग दर्शन करेंगे।

भारतीय बोर्ड और खिलाड़ी भी अपने पुराने रवैये पर कायम हैं कि यदि हरभजन के खिलाफ प्रतिबंध और कथित नस्लभेदी टिप्पणी के आरोपों को वापस नहीं लिया जाता है तो वह दौरे का बहिष्कार करेंगे।

भारतीय बोर्ड नहीं चाहेगा कि उस पर खिलाड़ियों के हितों की रक्षा न करने वाले बोर्ड का धब्बा लगे क्योंकि जगमोहन डालमिया के समय हमेशा खिलाड़ियों के हितों को तवज्जो दी गई थी।