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Written By वार्ता
Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 14 दिसंबर 2011 (19:35 IST)

टीम इंडिया के पास इतिहास बदलने का मौका

टीम इंडिया के पास इतिहास बदलने का मौका -
भाग्य के महाधनी कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया के पास ऑस्ट्रेलिया दौरे में 64 साल का इतिहास बदलने और कंगारू टीम के खिलाफ सिरीज जीत की अभूतपूर्व हैट्रिक बनाने का सुनहरा मौका होगा।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट संबंध 1947-48 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे के साथ शुरू हुए थे। भारत पांच मैचों की वह सिरीज 4-0 से हारा था। भारत अब तक कभी भी ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सिरीज नहीं जीत पाया है।

धोनी की कप्तानी में भारत ने पिछली दो घरेलू श्रृंखलाओं में ऑस्ट्रेलिया को 2008-09 में 2-0 से और 2010-11 में 2-0 से शिकस्त दी थी। भारत यदि ऑस्ट्रेलियाई धरती पर सिरीज जीतने में कामयाब होती है तो 64 वर्षों में कंगारूओं के घर में यह पहली टेस्ट सिरीज होगी और साथ ही वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिरीज जीतने की हैट्रिक भी बना लेगा।

धोनी ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रवाना होने से पूर्व विश्वास व्यक्त किया था कि यदि टीम अच्छा क्षेत्ररक्षण करती है और अपनी क्षमता के अनुरूप खेलती है तो वह यह सिरीज जीत सकती है। धोनी का कहना था मौजूदा टीम अच्छी दिखाई दे रही है और उसके पास ऑस्ट्रेलिया को हराने का अच्छा मौका है।

भारतीय कप्तान का ऑस्ट्रेलिया दौरा उनके लिए एसिड टेस्ट है। इससे पहले इंग्लैंड दौरे को धोनी के लिए 'एसिड टेस्ट' माना गया था लेकिन वहां वह चार टेस्टों की सिरीज में 0-4 से मात खा गए। धोनी ने वेस्टइंडीज से घरेलू श्रृंखला 2-0 से जीती, लेकिन अब उनके सामने ऑस्ट्रेलिया दौरे के रूप में एक और बड़ी चुनौती है।

भारत के दूसरे सबसे सफल कप्तान धोनी अब तक अपनी कप्तानी में 34 टेस्टों में 17 जीत चुके हैं और उन्होंने सिर्फ सात टेस्ट हारे हैं। उनके आगे सौरव गांगुली हैं, जिन्होंने 49 टेस्टों में 21 मैच जीते हैं। धोनी के सामने माइकल क्लार्क की चुनौती रहेगी, जिन्होंने अपनी कप्तानी में आठ टेस्टों में तीन जीते हैं और तीन हारे हैं। क्लार्क ने पूर्ण कप्तान के रूप में अभी तक कोई सिरीज नहीं हारी है।

धोनी ने ही ऑस्ट्रेलिया के ही नहीं बल्कि टेस्ट इतिहास के सबसे सफल कप्तान पोंटिंग की कप्तानी को घरेलू सिरीज में गहरा झटका दिया था जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत जाती रही। अक्टूबर 2008 में धोनी ने चोटिल अनिल कुंबले की जगह मोहाली टेस्ट में कप्तानी संभाली थी और पोंटिंग को 320 रन की बड़ी पराजय का कड़वा घूट पिलाया था।

कुंबले ने तीसरे टेस्ट के बाद संन्यास ले लिया था और धोनी नागपुर में चौथे टेस्ट में भारत के पूर्ण कप्तान बन गए थे। इस मैच को भारत ने 172 रन से जीता था। पिछले वर्ष ऑस्ट्रेलिया ने भारत दौरे में दो टेस्ट खेले थे और पोंटिंग को दोनों टेस्टों में हार का सामना करना पड़ा था।

मोहाली में भारत एक विकेट से और बेंगलुरु में सात विकेट से जीता था। इन पराजयों ने पोंटिंग का सिंहासन ऐसा हिलाया कि अंततः उन्हें युवा क्लार्क के लिए कप्तानी का रास्ता साफ करना पड़ा।

मौजूदा आस्ट्रेलियाई टीम इस समय अपने खिलाड़ियों की चोटों से परेशान है और न्यूजीलैंड ने 26 वर्षों के लंबे अंतराल में ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट जीतकर उसके जख्मों पर नमक छिड़क दिया है। आस्ट्रेलियाई टीम की इस समय जो स्थिति है उसका भारतीय टीम पूरा फायदा उठा सकती है।

भारत ने इस दौरे से पहले तक नौ बार ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया है और इस दौरान उसने 36 टेस्ट खेले, जिनमें से उसने 22 टेस्ट गंवाए और सिर्फ पांच टेस्ट जीते। भारत ने 1947-48 के 20 साल बाद जाकर 1967-68 में ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया और चार टेस्टों की सिरीज में 4-0 से सूपड़ा साफ करा लिया।

वर्ष 1977-78 में ऑस्ट्रेलिया दौरे में भारत 3-2 से हारा जबकि 1980-81 में उसने सिरीज 1-1 से और 1985-86 में सिरीज 0-0 से ड्रा खेली। वर्ष 1991-92 में भारत को 4-0 से और 1999-2000 में 3-0 से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2003-04 में सिरीज 1-1 से ड्रॉ रही लेकिन 2007-08 की सिरीज भारत 1-2 से हार गया।

दोनों देशों के बीच अब कुल 78 टेस्ट खेले गए हैं जिनमें भारत ने 20 जीते हैं, 34 हारे हैं, एक टाई रहा है और 23 ड्रॉ रहे हैं। भारत ने अनिल कुंबले की कप्तानी में जब ऑस्ट्रेलिया का पिछला दौरा किया था तब कंगारू टीम निर्विवाद रूप से टेस्ट क्रिकेट की बादशाह थी लेकिन अब वह विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर है जबकि उससे चोटी का स्थान छीनने वाला भारत अब दूसरे स्थान पर है। (वार्ता)