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Written By भाषा
Last Modified: ब्रिजटाउन (भाषा) , सोमवार, 4 जून 2007 (05:51 IST)

कोच बुकानन की विजयी विदाई

शिखर पर बने रहना ऑस्ट्रेलिया की नियति

कोच बुकानन की विजयी विदाई -
आस्ट्रेलिया के निवर्तमान कोच जॉन बुकानन ने विश्व कप में लगातार तीसरी खिताबी जीत के बाद कहा कि क्रिकेट के शिखर पर बने रहना उनकी टीम के प्रारब्ध में लिखा है। श्रीलंका के खिलाफ फाइनल बुकानन का ऑस्ट्रेलियाई टीम के कोच के तौर पर भी आखिरी मैच था।

बतौर खिलाड़ी क्वींसलैंड के लिए सत्तर के दशक में महज सात प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले बुकानन ने 1999 विश्व कप के तुरंत बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम के कोच का पद संभाला था।

'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' ग्लेन मैग्राथ और शतकवीर एडम गिलक्रिस्ट जैसे कई शानदार खिलाड़ियों से सजी ऑस्ट्रेलियाई टीम की कामयाबी का श्रेय बुकानन की तकनीकी महारत को भी जाता है, जिन्होंने टीम का दायरा बढ़ाया।

चार बरस पहले दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में खेले गए फाइनल में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत पर धमाकेदार जीत दर्ज की तो दुनिया की बाकी टीमों के सामने इस चैम्पियन के स्तर के समकक्ष पहुँचने की नई चुनौती भी रख दी।

दूसरे किसी देश को क्रिकेट की बारीकियाँ सिखाने में बुकानन की कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा हमारी भूमिका बदलाव की अगुआई करने की है। क्रिकेट के इस खेल के शिखर पर बने रहकर हमें नए मानक तय करने हैं। इसके बाद दूसरे देशों की जिम्मेदारी होगी कि वे हम तक पहुँचे।

बुकानन ने कहा हमारी इसमें कोई रूचि नहीं है कि दूसरे देश क्या करते हैं। हमें यह देखना है कि हम क्या कर रहे हैं। ग्रेग चैपल के इस्तीफे के बाद भारत और बेनेट किंग के पद छोड़ने के बाद वेस्टइंडीज उन दो देशों में शामिल हैं, जिन्हें विश्व कप की नाकामी के बाद नए कोच की तलाश है।

बुकानन ने कहा कि किसी और टीम के साथ जुड़ने वाले एक और ऑस्ट्रेलियाई बनने की उनकी कोई तमन्ना नहीं है। उन्होंने कहा मेरी पूरी निष्ठा ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ है। फिलहाल मैं किसी और टीम के साथ जुड़ना नहीं चाहता।

कोच ने ऑस्ट्रेलियाई टीम की कामयाबी का श्रेय खिलाड़ियों को देते हुए कहा हर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी परफेक्शन चाहता है। कोच के नजरिए से यह परफेक्ट टीम है, जो हर दिन अपने प्रदर्शन में सुधार को लालायित है।