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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 26 जनवरी 2010 (17:30 IST)

अपने ‘आर्मर’ से डराती थीं डायना इडुलजी

(26 जनवरी को जन्मदिन पर विशेष)

डायना इडुलजी
पूर्व महिला क्रिकेटर डायना इडुलजी अपनी शानदार गेंदबाजी से हमेशा भारतीय टीम के आकर्षण का केंद्र रही और देश की इस सबसे सफल गेंदबाज ने अपने ‘आर्मर’ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी टीमों के खिलाड़ियों के छक्के छुड़ाए थे।

डायना बहुमुखी प्रतिभा का धनी थी। उन्होंने क्रिकेट में मुकाम हासिल करने से पहले जूनियर राष्ट्रीय स्तर पर बास्केटबॉल और टेबल टेनिस भी खेला था, लेकिन उन्होंने क्रिकेट के गुर पूर्व टेस्ट क्रिकेटर लाला अमरनाथ द्वारा लगाए गए शिविर में सीखे थे।

इसके बाद वह रेलवे की तरफ से खेली और फिर अपनी गेंदबाजी से चयनकर्ताओं का ध्यान आकषिर्त करने के बाद राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई तथा गेंदबाज के रूप में काफी सफल रहीं।

मुंबई में 26 जनवरी 1956 को जन्मीं पूर्व भारतीय क्रिकेटर डायना ने भारत के लिए टेस्ट का आगाज वेस्टइंडीज के खिलाफ 1976 में किया था और उन्होंने अपना अंतिम मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1991 में खेला था। उन्होंने 20 टेस्ट मैचों में 63 विकेट और 34 वनडे में 46 विकेट हासिल किए हैं। डायना टेस्ट में दो बार चार और एक बार पाँच विकेट जबकि वनडे में भी वह एक बार चार विकेट प्राप्त कर चुकी हैं।

डायना ने अपना पहला वनडे 1978 में इंग्लैंड के खिलाफ कोलकाता में खेला था जबकि उन्होंने वनडे को अंतिम विदाई 1993 में दी थी। जब डायना ने अपना अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू किया था, तब उनकी गेंदबाजी में काफी विविधता थी और वह कभी भी प्रयोग से नहीं डरती थी।

डायना किसी भी तरह के विकेट पर अपनी गेंदबाजी की विविधता और किसी भी हालत में लाइन एवं लेंथ को बरकरार रखती। उनकी ‘आर्मर’ इतनी शानदार थी कि प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाड़ी इसे नहीं समझ पाते और विकेट गँवा बैठते। इसी के चलते उनका गेंदबाजी करियर इतना शानदार रहा।

डायना अपने पहले टेस्ट में पहली पारी में 48 रन बनाकर और दोनों पारियों में 57 रन जोड़कर नाबाद रहीं, इसके अलावा उन्होंने 86 रन देकर आठ विकेट चटकाए। किसी भी स्तर से यह किसी भी खिलाड़ी के लिए शानदार आगाज होता है और वह भी जब तब देश अपना पहला टेस्ट खेला रहा हो। इसके बाद से डायना ने मुड़कर नहीं देखा।

हालाँकि डायना शर्मिला चक्रवर्ती जैसी सर्वश्रेष्ठ स्पिनर नहीं थी, लेकिन वह भारत की ओर से सबसे सफल गेंदबाज रहीं। उनकी ऑलराउंडर क्षमता भी बेहतरीन थी। उन्होंने 20 टेस्ट की 30 पारियों में 404 रन और 34 वनडे में 211 रन बनाए। हालाँकि करियर के बीच में उन्होंने बल्लेबाजी पर इतना ध्यान नहीं दिया। (भाषा)