एक महीने के बेहद जरूरी ब्रेक के बाद टीम इंडिया, वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलने के लिए पूरी तरह से तैयार है। पहला टेस्ट मैच 12 जुलाई को वेस्टइंडीज के खिलाफ Windsor Park Sports Stadium, Dominica में खेला जाएगा और टीम का नेतृत्व Rohit Sharma करेंगे। रोहित शर्मा को भारत की टीम का सभी फॉर्मेट का कप्तान बने 18 महीने से अधिक समय हो गया है, लेकिन वह आईसीसी ट्रॉफी के 10 साल के सूखे को खत्म नहीं कर सके, जिसकी भारतीय प्रशंसक उनसे उम्मीद कर रहे थे।
Bilateral Series के अलावा बात की जाए तो रोहित भारत के बाहर उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके जिससे कई सवाल खड़े होते हैं और हाल ही में क्रिकेट के महान खिलाडियों में से एक, Sunil Gavaskar ने उन्हें लेकर कुछ बड़े सवाल पूछे हैं।
"रोहित से ज्यादा उम्मीदें थीं"Indian Express से बात करते दौरान उन्होंने कहा "मुझे रोहित से ज्यादा उम्मीदें थीं। भारत में टेस्ट खेलना अलग बात है, लेकिन जब आपकी परीक्षा विदेशों में होती है। वहां अच्छा प्रदर्शन करने पर आपकी तारीफ होती है। विदेशों में रोहित की टीम इंडिया का प्रदर्शन थोड़ा निराशाजनक रहा है। यहां तक कि टी20 फॉर्मेट में भी रोहित आईपीएल के तमाम अनुभव, कप्तान के तौर पर शतकों और आईपीएल के बेस्ट प्लेयर्स के साथ खेलने के बावजूद टीम को फाइनल में नहीं पहुंचा पाए, जो कि निराशाजनक है।"
"WTC Final में हमने कोशिश ही नहीं की"WTC Final की हार को लेकर गावस्कर ने कहा- उनसे सवाल पूछा जाना चाहिए। आपने पहले फील्डिंग क्यों किया? ठीक है टॉस के समय यह स्पष्ट था कि बादल छाए हुए हैं और सब कुछ। इसके बाद सवाल यह होना चाहिए कि आपको ट्रेविस हेड के शॉर्ट बॉल की कमजोरी के बारे में नहीं पता था? जब उन्होंने 80 रन बना लिए थे तभी आपने बाउंसर क्यों डलवाया? जैसे ही हेड बल्लेबाजी के लिए आए थे, कमेंट्री बॉक्स में रिकी पोंटिंग कह रहे थे उन्हें बाउंसर फेंको। हर कोई इसके बारे में जानता था, लेकिन हमने कोशिश नहीं की।
विश्व कप जीतना मेरे करियर का सबसे खास पल: गावस्करभारत के दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने कहा है कि विश्व कप 1983 जीतना उनके करियर का सबसे खास पल था और उसके बारे में सोचकर आज भी मेरी आंखें नम हो जाती है।
गावस्कर ने स्टार स्पोर्ट्स के साथ विशेष बातचीत में कहा, “मैंने अपने क्रिकेट करियर में उससे (विश्व कप 1983 जीतने से) ज्यादा खास पल कभी महसूस नहीं किया। मैंने उस समय जो खुशी महसूस की थी, मैं आज भी जब उस क्षण के बारे में सोचता हूं तो मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं।”
भारत ने 40 साल पहले लंदन के लॉर्ड्स मैदान पर खेले गये फाइनल में वेस्ट इंडीज़ को हराकर पहली बार विश्व कप जीता था। उस टूर्नामेंट में गावस्कर ने भारत के लिये सलामी बल्लेबाज़ की भूमिका निभाई थी।
फाइनल में भारतीय टीम वेस्ट इंडीज़ के सामने 184 रन का लक्ष्य ही रख सकी थी, लेकिन मोहिंदर अमरनाथ (12/3) की शानदार गेंदबाजी के दम पर भारत ने वेस्ट इंडीज को 140 रन पर ऑलआउट कर दिया था।
गावस्कर ने कहा, “इतने सालों बाद भी जब मुझे उस क्षण की याद आती है जहां कपिल देव ने ट्रॉफी उठाई थी, तो मेरी आंखें नम हो जाती हैं। आप क्रिकेट में कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन जब आपकी टीम, आपका देश ऐसी महान ऊंचाइयों पर पहुंचता है तो आपको जो खुशी मिलती है उसे बयान नहीं किया जा सकता।”
लिटिल मास्टर के नाम से प्रख्यात गावस्कर ने सोमवार को अपना 74वां जन्मदिन मनाया। उनका जन्म 10 जुलाई 1949 को मुंबई में हुआ था। क्रिकेट के सबसे महान सलामी बल्लेबाजों में से गावस्कर ने 1971 में भारत के लिये पदार्पण करने के बाद 125 टेस्ट मैच खेले और 51.12 की औसत से 10,122 रन बनाये। गावस्कर ने अपने सुसज्जित टेस्ट करियर में 35 शतक जड़े और 10 दिसंबर 2005 को सचिन तेंदुलकर द्वारा रिकॉर्ड तोड़े जाने से पहले तक वह सर्वाधिक टेस्ट शतक बनाने वाले बल्लेबाज़ रहे।
गावस्कर ने एकदिवसीय क्रिकेट में भी 108 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया जहां उन्होंने एक शतक और 27 अर्द्धशतकों के साथ 3,092 रन बनाये।