'शह और मात' का खेल : गांगुली बनाम रवि शास्त्री
फिल्म 'वक्त' का एक गीत था, जिसके बोल में था 'आदमी को चाहिए वक्त से डरकर रहे, कौन जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिजाज वक्त से दिन और रात...'। इस गीत को आप भारतीय क्रिकेट से जोड़कर देखेंगे तो कुछ-कुछ समझ में आएगा। ऐसा लगता है कि 23 अक्टूबर को आधिकारिक रूप से जब सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) बीसीसीआई के अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठेंगे वैसे ही गांगुली बनाम रवि शास्त्री (Ravi Shastri) में शह और मात का खेल शुरू हो जाएगा।
पूरी दुनिया जानती है कि सौरव गांगुली और रवि शास्त्री एक दूसरे को पसंद नहीं करते हैं। जब जिसका दांव चल जाता है, उसका सिक्का चलने लगा है। रवि शास्त्री 1981 से लेकर 1992 तक भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे तो सौरव गांगुली का भारतीय क्रिकेट के साथ सफर 1996 से 2008 तक रहा। यानी गांगुली 13 तक भारतीय टीम का हिस्सा रहे, जबकि शास्त्री 12 साल तक टीम इंडिया के खिलाड़ी रहे।
शास्त्री ने जब बगैर गांगुली बस आगे बढ़ाई : 2007 के विश्व कप में रवि शास्त्री टीम के मैनेजर थे। उन्होंने सभी को सुबह 9 बजे बस में इकठ्ठा होने को कहा। टीम के सभी खिलाड़ी तय समय पर बस में सवार हो चुके थे, सिवाय सौरव गांगुली के। शास्त्री ने बस ड्राइवर को गाड़ी आगे बढ़ाने का आदेश दिया। बाद में गांगुली किसी तरह मैदान पर पहुंचे।
गांगुली ने निकाली खुन्नस : सौरव गांगुली उस बात को नहीं भूले थे कि शास्त्री ने उनका इंतजार किए बिना बस चलवा दी थी। गांगुली को जब मौका मिला तब उन्होंने अपनी खुन्नस भी निकाली। गांगुली ने कहा कि शास्त्री को 'ब्रेक फास्ट' शो में मत बुलाया करो। शाम के शो में बुलाया करो क्योंकि रात को वे...जो करते हैं, उसकी खुमारी सुबह तक रहती है।
गांगुली फिलहाल 1-0 से पीछे : शास्त्री बनाम गांगुली के बीच 'शह और मात' के खेल में फिलहाल शास्त्री 1-0 से आगे हैं। गांगुली की दखलंदाजी से टेस्ट क्रिकेट में 500 विकेट और नाबाद शतक (110, 2007 इंग्लैंड दौरा) लगाने वाले मैकेनिकल इंजीनियर अनिल कुंबले 23 जून 2016 को टीम इंडिया के हेड कोच बने थे लेकिन विराट से पटरी नहीं बैठने के कारण उन्होंने 2017 में कार्यकाल पूरा करने के पहले ही इस्तीफा दे दिया था। विराट की मेहरबानी से रवि शास्त्री को हेड कोच बना दिया।
गांगुली के पास स्कोर 1-1 बराबर करने का मौका : सौरव गांगुली जब 23 अक्टूबर को भारतीय क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था बीसीसीआई के मुखिया होंगे, तब उनके पास स्कोर 1-1 बराबर करने का मौका रहेगा। सब जानते हैं कि गांगुली 'क्रिकेट के दादा' हैं और दादागिरी करने से कभी पीछे नहीं हटते। वैसे अभी जो हालात दिख रहे हैं, लगता नहीं कि गांगुली हिसाब चुकता करने में जल्दबाजी करेंगे क्योंकि विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया कामयाबी के नए मुकाम हासिल कर रही है। शास्त्री को गांगुली का फुल सपोर्ट है। आने वाले दिनों में देखना होगा कि कोच के बारे में गांगुली का क्या रुख रहता है?
शास्त्री के मैनेजर से कोच पद का सफर : रवि शास्त्री 2007 के विश्व कप में पहली बार बतौर मैनेजर टीम इंडिया के साथ गए थे। ग्रेग चैपल युग खत्म होने के बाद उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का डायेक्टर बना दिया। यह एक नया पद था। 2016 में डंकन फ्लेचर की रवानगी के बाद कुंबले कोच बने जबकि 2017 के बाद से कप्तान कोहली की पहली पसंद रहे रवि शास्त्री अब तक हेड कोच की कुर्सी की शोभा बढ़ा रहे हैं।