अफगानी महिलाओं को पढ़ाई से रोकने पर राशिद और नबी नाखुश, किया कड़ा विरोध
Medical Education For Afghanistan Women : अफगानिस्तान के क्रिकेटर राशिद खान (Rashid Khan) और मोहम्मद नबी (Mohammed Nabi) ने तालिबान शासन की ओर से अफगान महिलाओं को मेडिकल संस्थानों में पढ़ने से प्रतिबंधित किए जाने के बाद निराशा जताई है। रिपोर्ट के अनुसार, काबुल में मिडवाइफरी (Midwifery) और नर्सिंग (Nursing) कार्यक्रमों के छात्रों को कथित तौर पर उनके संस्थानों में प्रवेश से वंचित किया जा रहा है।
अधिकारी तालिबान नेतृत्व के मौखिक आदेशों का हवाला दे रहे हैं कि फिलहाल क्लास सस्पेंड हैं। तालिबान के मंत्री हिबतुल्लाह अखुंदजदा ने 2 दिसंबर को अफगानिस्तान में महिलाओं की मेडिकल ट्रेनिंग पर बैन लगाने का ऐलान किया था इसी फैसले को दोनों क्रिकेटरों ने नाराजगी जताई और बैन हटाने की मांग की।
दोनों क्रिकेटरों ने तालिबान से अपने रुख पर पुनर्विचार करने आग्रह किया ताकि महिलाएं जरुरी शिक्षा ग्रहण कर देश के विकास में योगदान दे सकें।
राशिद खान ने X (पूर्व Twitter) पर लिखा "अफ़ग़ानिस्तान जो हमारी प्यारी मातृभूमि है, वह इस समय एक नाज़ुक मोड़ पर है. इस समय देश को हर क्षेत्र और ख़ास तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में पेशेवरों की अत्यंत आवश्यकता है. महिला चिकित्सकों और नर्सों की भारी कमी विशेष तौर पर चिंताजनक है क्योंकि यह महिलाओं के आत्मसम्मान और उनके स्वास्थ्य की देखरेख को सीधे तौर पर प्रभावित कर रही है. हमारी बहनों और माताओं के लिए बेहद ज़रूरी है कि उन्हें चिकित्सीय पेशेवरों की पूरी सहायता मिले जो उनकी हर ज़रूरत की समझ रखते हैं."
राशिद ने आगे लिखा, "मैं इस निर्णय पर एक बार फिर विचार करने की मांग करता हूं ताकि अफ़ग़ानिस्तान की लड़कियों को शिक्षा का अधिकार दोबारा मिल सके और वे देश के विकास में अपना योगदान दे सकें। शिक्षा मुहैया कराना ना सिर्फ़ हमारी सामाजिक ज़िम्मेदारी है बल्कि यह हमारी आस्था से जुड़ी हुई एक बड़ी नैतिक ज़िम्मेदारी भी है."
राशिद के पोस्ट के कुछ घंटों बाद, पूर्व कप्तान नबी ने भी एक्स पर मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा "लड़कियों को मेडिकल की पढ़ाई से प्रतिबंधित करने का तालिबान का फैसला न केवल दिल दहला देने वाला नहीं, बल्कि बेहद अन्यायपूर्ण है। इस्लाम ने हमेशा सभी के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया है और इतिहास मुस्लिम महिलाओं के प्रेरक उदाहरणों से भरा है जिन्होंने ज्ञान के माध्यम से कई पीढ़ियों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मैं तालिबान से इन मूल्यों पर विचार करने का आग्रह करता हूं। लड़कियों को सीखने और अपने लोगों की सेवा करने के अवसर से वंचित करना उनके सपनों और हमारे देश के भविष्य दोनों के साथ विश्वासघात है। हमारी बेटियां पढ़ें, आगे बढ़ें और सभी के लिए एक बेहतर अफगानिस्तान का निर्माण करें। यह उनका अधिकार है और इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।”
यह बैन न केवल अफगान महिलाओं के लिए शैक्षिक अवसरों को खत्म करता है, बल्कि चल रहे मानवीय संकट को भी और गहरा करता है। एक स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ ने कहा, "तालिबान का महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध न केवल उनके अधिकारों के लिए झटका है, बल्कि अफगानिस्तान की संघर्षरत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए भी एक विनाशकारी झटका है।"