जीवन की जंग लड़ रहा हैं टीम इंडिया का यह स्टार क्रिकेटर, परिवार के पास इलाज तक के पैसे नहीं...
वडोदरा। भारत के लिए 10 वनडे खेल चुके और अपनी कप्तानी में बड़ौदा को रणजी चैंपियन बनाने वाले जैकब मार्टिन अस्पताल में जीवन की जंग लड़ रहे हैं और उनके परिवार ने क्रिकेट समुदाय से आर्थिक मदद की अपील की है।
46 वर्षीय मार्टिन एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उनका वडोदरा के अस्पताल में इलाज चल रहा है। मार्टिन जब स्कूटर से जा रहे थे, तब उनका एक्सीडेंट हो गया था। यह घटना 28 दिसंबर की है। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके लंग्स और लीवर में चोटें आईं थीं और वे तब से वेंटीलेटर पर हैं।
उनके परिवार के पास इलाज के लिए पैसे भी खत्म हो चुके हैं और परिवार को आर्थिक मदद की सख्त जरूरत है। मार्टिन की पत्नी ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से मदद की अपील की थी ताकि वेे अस्पताल का भारी भरकम बिल भर सकें। परिवार ने किसी तरह 5 लाख रुपए का इंतजाम किया था, जबकि बीसीसीआई ने भी त्वरित कार्रवाई करते हुए उन्हें 5 लाख रुपए दिए। बड़ौदा क्रिकेट संघ (बीसीए) ने भी 3 लाख रुपए दिए हैं।
बीसीसीआई के पूर्व सचिव और बीसीए के सचिव संजय पटेल मार्टिन के इलाज के लिए धन जुटाने की कोशिशों में लगे हुए हैं। पटेल ने कहा, 'जब मुझे मार्टिन के एक्सीडेंट के बारे में पता चला, तब से मैं उनके परिवार की हरसंभव मदद की कोशिश कर रहा हूं। मैंने कुछ लोगों मदद की बात की है। बड़ौदा के महाराजा और बीसीए के पूर्व अध्यक्ष समरजीत सिंह गायकवाड़ ने एक लाख रुपए दिए हैं। इस तरह कुल 5 साख रुपए उनके इलाज के लिए जुटाए जा चुके हैं।'
मार्टिन के इलाज में अस्पताल का बिल पहले ही बढ़कर 11 लाख रुपए पहुंच गया है और एक समय ऐसा भी आया था, जब अस्पताल ने दवाई देना बंद कर दिया था लेकिन बीसीसीआई ने सीधा पैसा अस्पताल में जमा कराया। उसके बाद से इलाज में कोई दिक्कत नहीं आ रही है। अस्पताल के अनुसार मार्टिन के एक दिन के इलाज का अनुमानित खर्च करीब 70,000 रुपए है।
मार्टिन ने सितम्बर 1999 से अक्टूबर 2001 के बीच भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 10 वनडे मैच खेले थे। उस दौर के अच्छे ऑलराउंडर में एक मार्टिन ने इसके अलावा प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी 100 से ज्यादा मैच खेल चुके हैं। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में बड़ौदा और रेलवे का प्रतिनिधित्व किया था।
उन्होंने अपनी कप्तानी में बड़ौदा को 2000-2001 में पहली बार रणजी चैंपियन बनाया था। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद वह बड़ौदा टीम के कोच भी रहे हैं। उनका आखिरी प्रथम श्रेणी मैच दिसम्बर 2009 में था।
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