इशांत की रफ्तार सुधारने में अहम भूमिका निभाई स्टीफन जोन्स ने
भारत के पूर्व मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने जब 2022 में इशांत शर्मा से कहा था कि टीम टेस्ट प्रारूप में उन्हें नहीं देख रही है तो इस तेज गेंदबाज के लिए चीजें काफी मुश्किल हो गई थीं।इशांत उस समय लगभग 33 वर्ष के थे। वह लाल गेंद के क्रिकेट में इतना अच्छा नहीं कर पा रहे थे और उनकी गति पर भी असर पड़ा था। इसी वर्ष आईपीएल भी नहीं खेल पाए थे।
यह जानते हुए कि भारत में वापसी एक दूर का सपना था। इशांत ने लाल गेंद के क्रिकेट में कटौती की, लेकिन आईपीएल को ध्यान में रखते हुए सबसे छोटे प्रारूप पर काम किया।और फिर उन्हें इंग्लैंड के स्टीफन जोन्स का साथ मिला जिन्होंने इस अनुभवी तेज गेंदबाज को वापसी कराने में मदद की।
जोन्स के पास कैम्ब्रिज और लॉफबोरो यूनिवर्सिटी दोनों की डिग्री हैं। उन्होंने नॉर्थम्पटनशर, डर्बीशर, केंट और समरसेट के लिए 20 साल तक पेशेवर काउंटी क्रिकेट खेला। लेकिन जब उन्होंने क्रिकेट कोचिंग शुरू की तो वह केवल लेवल 3 कोच ही नहीं बने बल्कि उन्होंने खेल विज्ञान में डिग्री के साथ-साथ स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग में भी प्रमाण पत्र हासिल किया। इससे उन्हें तेज गेंदबाजी को हर पहलू से जानने का मौका मिला।
इस आईपीएल सत्र में इशांत ने गुजरात टाइटन्स के लिए पांच मैच में तीन विकेट झटके हैं, उनके आंकड़े भले ही बहुत बढ़िया न हों। लेकिन जिस चीज ने सभी को चौंकाया है, वह है सभी गेंद 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से फेंकने की क्षमता।
जोन्स ने कहा, इशांत ने 2017-18 के आसपास मुझसे संपर्क किया था। मुझे लगता है कि तब वह भारत के इंग्लैंड के दौरे पर यहां आए थे। उन्होंने बस सवाल पूछे। उन्हें मेरे कोचिंग का तरीका पसंद आया।
जोन्स अब पेस लैब नामक एक कंपनी चलाते हैं, उन्होंने PTI
(भाषा) से बातचीत के दौरान बताया, उन्हें मेरा हर चीज की बारीकियां देखने का तरीका पसंद आया जो खेल विज्ञान से प्रेरित है जिसमें खेल के तकनीकी और शारीरिक पहलुओं पर बहुत सारा ज्ञान शामिल है। शुरुआत में मैंने उन्हें ऑनलाइन कोचिंग देना शुरू किया।
हालांकि समय बीतने के साथ उनकी लैब सफल हुई और इशांत ने जोन्स के सहायक कोच आयुष से गुड़गांव में सत्र के इतर ट्रेनिंग लेनी शुरू की।उन्होंने कहा, मैंने इशांत से पूछा कि क्या वह आयुष की देखरेख में काम करना चाहता है। मैं ही कार्यक्रम की योजना बनाता हूं और आयुष गुड़गांव में उसे कोचिंग देता है। उन्होंने कहा, कोचिंग का मतलब खेल के अनुभव को आगे बढ़ाना नहीं है। कोचिंग का मतलब बदलाव लाना है। इसका मतलब समर्थन करना है।