INDvsAUS ऑस्ट्रेलिया ने आखिरी बार बोर्डर गावस्कर ट्रॉफी में अपने घर में भारत को 2014-15 में हराया था। इस जीत का अंतर 2-1 था और यह ही अंतर दोनों ही टीमों में रहा है पिछले 10 सालों में। फर्क बस इतना है भारत को 2-1 से सीरीज में जीत मिलती रही। चाहे बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी भारत में खेली जा रही हो या फिर ऑस्ट्रेलिया में
साल 2023 भारत में भारत की 2-1 से जीतइस श्रृंखला में स्पिनरों की मददगार पिच से रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा और अक्षर पटेल को मदद मिली लेकिन क्रिकेट जगत में इसकी काफी किरकिरी हुई। यही नहीं भारतीय शीर्ष क्रम भी ऑस्ट्रेलिया के स्पिनरों के खिलाफ सहज नहीं दिखा।
पंत की जगह टीम में शामिल हुए कोना भरत (चार टेस्ट में 101 रन) स्पिन गेंदबाजी के साथ स्विंग लेती गेंदों पर विकेट के पीछे सहज नहीं दिखे।लोकेश राहुल के खराब लय से टीम की परेशानियों को बढ़ाया लेकिन अक्षर पटेल और विराट कोहली ने शानदार बल्लेबाजी टीम का आत्मविश्वास बढ़ाया।
श्रृंखला से पहले किसी ने उम्मीद नहीं की होगी की अक्षर इन चार टेस्ट मैचों में 264 रन के साथ विराट कोहली (297) के बाद भारत के दूसरे सर्वोच्च स्कोरर होंगे। उन्होंने इस दौरान तीन अर्धशतकीय पारियां खेली।
अश्विन ने एक बार फिर साबित किया कि भारतीय परिस्थितियों में उनका कोई तोड़ नहीं। वह श्रृंखला में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे।ऑस्ट्रेलिया के नए नवेले कप्तान पैट कमिंस के लिए यह दौरा भुलाने लायक रहा। पहले नागपुर में पारी और 132 रनों से हार तो दिल्ली में 6 विकेटों से हार।
दो टेस्ट के बाद उनकी मां की निधन की खबर आई और कप्तानी स्टीव स्मिथ के हाथ में गई। इंदौर में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को 9 विकेटों से जीत दिलाई और अहमदाबाद में मैच ड्रॉ करा लिया।
साल 2020-21 ऑस्ट्रेलिया में भारत की 2-1 से जीत36 रनों पर ऑल आउट होने के बाद कोई सोच भी नहीं सकता था कि टीम इंडिया यह सीरीज जीत लेगी। टीम इंडिया का मनोबल गिरा हुआ था लेकिन जो वापसी भारतीय टीम ने ब्रिस्बेन में की वह लंबे समय तक याद रखी जाएगी।
भारतीय टीम ने मुश्किल समय से जो वापसी की है वह जन सामान्य के लिए भी एक नजीर बन गई।
टीम इंडिया का ड्रेसिंग रूम मिनी अस्पताल सा लग रहा था। हालत यह थी कि हर टेस्ट के बाद कम से कम एक खिलाड़ी चोटिल हो रहा था। मोहम्मद शमी, उमेश यादव, जसप्रीत बुमराह, अश्विन जैसे खिलाड़ियों के ना होने पर भी टीम इंडिया की सोच में बदलाव नहीं आया। उनकी जगह लेने वाले नए खिलाड़ियों ने सीनियर खिलाड़ियों की कमी नहीं महसूस होने दी।
कोहली की अनुपस्थिति एक बड़ी मुसीबत थी। टीम इंडिया के कप्तान हाल ही में पिता बने हैं। कप्तान की अनुपस्थिती में भी टीम को दिशा निर्देश देने वाले कार्यवाहक कप्तान अजिंक्य रहाणे ने कभी इस कमी का रोना नहीं रोया।
पहले टेस्ट के बाद टीम इंडिया ने अपने तेवर बदल लिए। मेलबर्न टेस्ट से टीम निडरता से बल्लेबाजी करती हुई नजर आने लगी। दूसरे टेस्ट में तेज बल्लेबाजी कर बढ़त लेने की कोशिश की जो मिली। तीसरे टेस्ट को जीतने की कोशिश की और पंत के विकेट के बाद ड्रॉ कराया। वहीं चौथे टेस्ट को टीम 3 विकेट से जीतकर ही मानी। ऋषभ पंत की सिडनी में खेली गई 97 रनों की पारी के बाद नाबाद आई 89 रनों की पारी ने गाबा का घमंड़ तोड़ दिया।
साल 2018-19 ऑस्ट्रेलिया में भारत की 2-1 से जीतयह भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया को हराने का सबसे बेहतरीन मौका था जो टीम इंडिया ने नहीं गंवाया। ना केवल भारत की गेंदबाजी क्रम और बल्लेबाजी क्रम मजबूत थी लेकिन ऑस्ट्रेलिया सैंड पेपर गेट के कारण धूमिल छवि और बड़े नामों की कमी से जूझ रही थी।
दक्षिण अफ्रीका में हुए सैंड पेपर गेट प्रकरण के कारण कप्तान स्टीव स्मिथ, सलामी बल्लेबाज डेविड वॉर्नर और ऑलराउंडर कैमरुन बैंक्रॉफ्ट को निलंबित कर दिया गया। कप्तानी नए नवेले कप्तान टिम पेन के हाथ में थी और सामने थे विराट कोहली।
भारतीय टीम ने एडीलेड में पहला टेस्ट मैच 31 रन से जीता था। ऑस्ट्रेलिया ने पर्थ में दूसरे टेस्ट मैच में 146 रन से जीतकर वापसी की, लेकिन भारत ने मेलबर्न में तीसरा मैच 137 रन से अपने नाम करके इतिहास रचने की तरफ मजबूत कदम बढ़ाए थे।भारत ने चौथे टेस्ट मैच से पहले श्रृंखला में 2-1 की अजेय बढ़त बना ली थी।
भारत ने बारिश और खराब मौसम के कारण चौथा और अंतिम टेस्ट मैच ड्रॉ छूटने के साथ ही आस्ट्रेलिया को 2-1 से हराकर आस्ट्रेलियाई सरजमीं पर पहली बार टेस्ट श्रृंखला जीती। इस तरह से विराट कोहली ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीतने वाले पहले भारतीय और पहले एशियाई कप्तान बन गए।
भारत के दबदबे इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो अंतिम टेस्ट ड्रॉ हुआ था उसमें भारत ने ऑस्ट्रेलिया को फॉलोऑन के लिए आमंत्रित किया था।पुजारा ने भारत की श्रृंखला में जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने श्रृंखला में 74.42 की औसत से 521 रन बनाए जिसमें तीन शतक शामिल हैं। उन्हें मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज चुना गया।
साल 2017 भारत में भारत की 2-1 से जीतजैसे ऑस्ट्रेलिया की हालात 2018 में ठीक नहीं थी वैसे ही भारत में कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल कुंबले के बीच में तल्खियां बढ़ने लग गई थी। पहले ही टेस्ट में भारत को ऑस्ट्रेलिया से 333 रनों की हार का सामना करना पड़ा था।
यह पहला मौका था जब भारतीय बल्लेबाजों के स्पिन खेलने की तकनीक पर सवाल उठने लग गए थे। भारत ने दूसरा टेस्ट 75 रनों से जीता जिसमें भारत की बल्लेबाजी के हाल बेहाल ही रहे।
तीसरे टेस्ट को कंगारुओं ने ड्रॉ करा लिया। इस मैच में ग्लेन मैक्सवेल ने भारत के खिलाफ एक मात्र टेस्ट शतक जड़ा। 1-1 की बराबरी पर रही सीरीज चौथे मैच पर गई। इस मैच में कप्तान कोहली उपलब्ध नहीं थे और कप्तानी अजिंक्य रहाणे ने की थी।
पहले सत्र में आक्रामक रहे कंगारुओं की पटरी टेस्ट डेब्यू कर रहे कुलदीप यादव ने उतार दी। अंत में यह मैच भारत ने 8 विकेट से जीत लिया और सीरीज पर 2-1 से कब्जा जमाया।
कप्तान स्टीव स्मिथ ने इस सीरीज में लगातार शतक जड़े लेकिन रविंद्र जड़ेजा को चौथे मैच का मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज का पुरुस्कार मिला।