333 रन बनाने वाले उस्मान ख्वाजा को भारत के खिलाफ पिछली बॉर्डर गावस्कर सीरीज में इसलिए नहीं मिले थे मौके
अहमदाबाद: आस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा भारतीय धरती पर विशेष शतक पूरा करने के बाद काफी मुस्कुरा रहे थे और उन्हें याद नहीं कि वह सैकड़ा जड़ने के बाद कभी इस तरह मुस्कुराये हों।उन्होंने भारत दौरे पर कभी भी शतक जड़ने का सपना नहीं देखा था क्योंकि 2013 और 2017 के पिछले दौरों पर वह मैदान में ड्रिंक्स ले जाया करते थे।
लेकिन इस दौरे पर वह आस्ट्रेलिया के ही नहीं बल्कि सबसे सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज साबित हुए।भारतीय जमीन पर पहले 2 टेस्टों में फ्लॉप होने के बाद उन्होंने इंदौर में 60 रनों की पारी खेली जो किसी शतक से कम नहीं थी। वहीं इसके बाद उन्होंने अहमदाबाद में 600 मिनट तक बल्लेबाजी की और 180 रन बनाए। इसके कारण वह बॉर्डर गावस्कर सीरीज में सर्वाधिक 333 रन बनाकर सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बने।
अंतिम टेस्ट के दौरान उनके शब्दों में इसकी खुशी और दर्द को महसूस किया जा सकता था, उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि मैं एक शतक जड़ने के बाद कभी इतना मुस्कुराया हूं, इसमें भावनायें थीं। मैंने पहले भी भारत के दो टेस्ट दौरे (2013 और 2017) कर चुका हूं। आठ टेस्ट मैचों में ड्रिंक्स लेकर जाता था और इस बार मुझे मौका मिला।
क्रिकेट आस्ट्रेलिया ने मार्कस नॉर्थ और क्रिस रोजर्स जैसे सलामी बल्लेबाजों को आजमाने के बाद 36 साल के ख्वाजा को मौका दिया।उन्होंने कहा, मेरे पूरे करियर के दौरान मुझे कहा गया था कि मैं स्पिन नहीं खेल सकता इसलिये मुझे कभी भी भारत में खेलने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा, इसलिये क्रीज पर जाकर भारत में शतक जड़ना शानदार था क्योंकि पांच साल पहले अगर आपने मुझे पूछा होता तो मैं सोचता कि आप क्रेजी हो।
इस्लामाबाद में जन्में और क्वींसलैंड में पले-बढ़े क्रिकेटर ने कहा, मैंने कभी इसकी (भारत में शतक जड़ने) की उम्मीद नहीं की थी इसलिये काफी भावुक हो गया था।
तो क्या वह आस्ट्रेलियाई क्रिकेट की राय से सहमत थे कि वह स्पिन नहीं खेल सकते तो उन्होंने कहा, शायद कुछ हद तक। लेकिन जब लोग कहना शुरू कर देते हैं तो सोच भी सच्चाई बन जाती है। जब भी मैं स्पिन गेंद पर आउट होता तो लोग कहते कि तुम स्पिन नहीं खेल सकते। मैंने शायद इस पर विश्वास करना शुरू कर दिया था।