गंभीर की बात मानी BCCI ने, क्रिकेटरों को मर्जी से मैच चुनने की अनुमति नहीं मिलेगी
गौतम गंभीर हमेशा से भारतीय क्रिकेट में मेगा स्टार संस्कृति के खिलाफ रहे हैं लेकिन इंग्लैंड दौरे पर मोहम्मद सिराज के लगातार अच्छे प्रदर्शन से भारत के मुख्य कोच को अब अपने हिसाब से टीम कल्चर बनाने का मौका मिल गया है ।
इंग्लैंड से श्रृंखला 2-2 से ड्रॉ कराने के बाद गंभीर और चयन समिति के प्रमुख अजित अगरकर टीम में जरूर ऐसा माहौल बनाना चाहेंगे जिसमें सभी को बराबर माना जाये।समझा जाता है कि चयन समिति, गंभीर और भारतीय क्रिकेट के आला अधिकारी कार्यभार प्रबंधन के नाम पर खिलाड़ियों के मर्जी से मैच और श्रृंखला खेलने के चलन पर रोक लगाने को लेकर एकमत हैं।
बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा , इस पर बात हुई है और केंद्रीय अनुबंध प्राप्त खिलाड़ियों को बता दिया गया है , खास तौर पर उनको जो सभी प्रारूपों में नियमित खेलते हैं कि भविष्य में अपनी मर्जी से मैच चुनने का कल्चर नहीं चलेगा।
उन्होंने कहा , इसके यह मायने नहीं हैं कि कार्यभार प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया जायेगा। तेज गेंदबाजों का कार्यभार प्रबंधन जरूरी है लेकिन इसकी आड़ में खिलाड़ी अहम मैचों से बाहर नहीं रह सकते।
इंग्लैंड के खिलाफ मोहम्मद सिराज ने पांच टेस्ट में 185 .3 ओवर डाले जिसके अलावा नेट्स पर गेंदबाजी और फील्डिंग अलग। उन्होंने फिटनेस के नये मानदंड कायम किये। सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा और आकाश दीप के प्रदर्शन ने साबित कर दिया कि बड़े से बड़े सितारे भी खेल से बढकर नहीं हैं।
इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स ने भी कई दिक्कतों के बावजूद चौथे टेस्ट तक काफी लंबे स्पैल डाले। इससे यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या कार्यभार प्रबंधन को अपनी सहूलियत के हिसाब से ढाल बनाया जाता है।
भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने इंडिया टुडे से कहा , जब आप देश के लिये खेल रहे हैं तो दर्द भूल जाइये। क्या आपको लगता है कि सीमा पर जवान ठंड की शिकायत करेंगे। ऋषभ पंत ने आपको क्या दिखाया। वह फ्रेक्चर के बावजूद बल्लेबाजी के लिये आया खिलाड़ियों से इसी की अपेक्षा की जाती है। भारत के लिये खेलना गर्व की बात है।
उन्होंने कहा , आप 140 करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं और यही हमने मोहम्मद सिराज में देखा। सिराज ने कार्यभार की तमाम बातों को धता बताते हुए दिलेरी से गेंदबाजी की। लगातार पांच टेस्ट में सात आठ स्पैल डाले क्योंकि देश को इसकी अपेक्षा थी। उम्मीद है कि यह कार्यभार शब्द भारतीय क्रिकेट के शब्दकोष से गायब हो जायेगा।
यह भी कहा जा सकता है कि जसप्रीत बुमराह का पांचों टेस्ट में नहीं खेलने का फैसला बीसीसीआई को रास नहीं आया है। इससे बेंगलुरू के उत्कृष्टता केंद्र में काम कर रही खेल विज्ञान टीम पर भी ऊंगली उठी है।
(भाषा)