INDvsSA भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के जादुई स्पैल से भारत ने टेस्ट इतिहास के अब तक के सबसे छोटे मैच में दक्षिण अफ्रीका पर सात विकेट की जीत से दो मैच की श्रृंखला 1-1 से बराबर की।भारतीय तेज गेंदबाजी के अनमोल नगीनों में शुमार बुमराह ने गुरुवार को यहां दूसरे और आखिरी टेस्ट के दूसरे दिन की सुबह ऐसा खतरनाक स्पैल डाला कि दक्षिण अफ्रीका का मध्यक्रम चरमरा गया और ऐडन मार्कराम (103 गेंद में 106 रन) के जुझारू शतक के बावजूद टीम लंच से ठीक पहले दूसरी पारी में 36.5 ओवर 176 रन पर ढेर हो गयी जिससे भारत को जीत के लिए 79 रन का लक्ष्य मिला।
यह लक्ष्य हालांकि सबसे मुश्किल पिच पर भी बहुत बड़ा नहीं था। युवा यशस्वी जायसवाल (28 रन) हालांकि अपना विकेट गंवा बैठे लेकिन कप्तान रोहित शर्मा (नाबाद 16 रन) और श्रेयस अय्यर (छह गेंद में नाबाद चार रन) ने 12 ओवर में तीन विकेट पर 80 रन बनाकर टीम को पांचवें सत्र के अंदर जीत दिलायी।भारत की न्यूलैंड्स पर सात प्रयासों में यह पहली जीत थी जिसे बुमराह और मोहम्मद सिराज के प्रदर्शन के लिये याद रखा जायेगा। सिराज ने अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ छह विकेट के प्रदर्शन से दक्षिण अफ्रीका को पहली पारी में 55 रन पर समेटने में मुख्य भूमिका निभायी थी।
रोहित श्रृंखला बराबर होने से महेंद्र सिंह धोनी (2010-11) के बाद दक्षिण अफ्रीका में श्रृंखला ड्रा कराने वाले दूसरे कप्तान बन गये।हालांकि दक्षिण अफ्रीका अब भी भारत के लिए अजेय किला बना हुआ है क्योंकि वह इस देश में अब तक कोई भी टेस्ट श्रृंखला नहीं जीत सका है।
फेंके गये ओवरों के मामले में यह अब तक का सबसे छोटा टेस्ट मैच रहा जिसमें कुल 106.2 ओवर डाले गये।इससे पहले 1932 में आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच एमसीजी में हुआ टेस्ट सबसे छोटा मैच था जिसमें 109.2 ओवर फेंके गये थे। इसमें आस्ट्रेलिया जीता था। दिलचस्प बात है कि दक्षिण अफ्रीका की पहली पारी इस मैच की तरह ही तब 23.2 ओवर तक ही चली थी।न्यूलैंड्स स्टेडियम की पिच को अगर आईसीसी मैच रैफरी क्रिस ब्रॉड औसत से नीचे की रेटिंग नहीं देते हैं तो यह हैरानी की बात होगी।
दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजी सलाहकार और पूर्व कप्तान एशवेल प्रिंस ने जब इस पिच को देखा था तो उन्होंने इसे पहले दिन की सबसे तेज पिच करार किया था और वह इसके अनिरंतर उछाल से काफी चिंतित भी थे।
न्यूलैंड्स की मेजबान संस्था वेस्ट प्रोविंस क्रिकेट एसोसिएशन वित्तीय रूप से काफी कमजोर है और डेढ़ दिन का मैच उसके लिए घाटे का सौदा ही होगा।कप्तान रोहित के लिए बतौर कप्तान क्रिकेट के चार बड़े देश दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया में पहला टेस्ट जीतना शानदार है लेकिन इसमें उनके द्वारा लिये गये फैसलों से उनका कप्तानी कौशल दिखायी दिया।
मुकेश कुमार (चार विकेट) को शार्दुल ठाकुर के स्थान पर खिलाना अच्छा फैसला रहा। पहले टेस्ट में सेंचुरियन में मिली पारी और 32 रन की हार के बाद गेंदबाजों ने गेंदबाजी करने की आदर्श लेंथ भी जानी।बुमराह और सिराज ने पहली पारी में जिस तरह पिच के मिजाज को परखा, वह काबिलेतारीफ रहा जो इस बात का उदहारण है कि मौजूदा पीढ़ी करारी हार के बाद भी घुटने नहीं टेकती।गुरुवार को गेंद हालांकि पिच पर उतना उछाल नहीं ले रही थी जितना पहले दिन ले रही थी लेकिन फिर भी मूवमेंट हासिल करने के लिए इस पर काफी कुछ मौजूद था। बुमराह ने बैक ऑफ लेंथ के बजाय पारंपरिक रूप से फुल लेंथ गेंद फेंकी और 13.5 ओवर में 61 रन देकर छह विकेट हासिल किये।
टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने नौंवी बार पांच विकेट लेने का कारनामा किया।दक्षिण अफ्रीका ने सुबह तीन विकेट पर 62 रन से आगे खेलना शुरू किया, तब मार्कराम 36 रन पर खेल रहे थे। पर जल्द ही डेविड बेडिंघम (11 रन) स्टंप के पीछे कैच आउट हुए और काइल वेरेयने (09 रन) लेंथ गेंद पर गैर जरूरी पुल शॉट खेलने के चक्कर में पवेलियन लौट गये।
दूसरे छोर पर विकेटों के गिरने से मार्कराम ने कम अनुभवी मुकेश कुमार (10 ओवर में 56 रन देकर दो विकेट) और प्रसिद्ध कृष्णा (चार ओवर में 27 रन देकर एक विकेट) के खिलाफ आक्रामकता बरतनी शुरू की। कृष्णा अपनी पदार्पण श्रृंखला में भारतीय तेज गेंदबाजी आक्रमण की कमजोर कड़ी रहे।भारतीय कप्तान रोहित शर्मा के क्षेत्ररक्षकों को अच्छी तरह सजाने के बावजूद मार्कराम आसानी से बाउंड्री लगाते रहे, उन्होंने 17 चौके और प्रसिद्ध कृष्णा पर दो गगनदायी छक्के जड़े।
सुबह के सत्र में बुमराह पूरी तरह से लय में थे जिससे दक्षिण अफ्रीका ने लगातार विकेट गंवा दिये।दक्षिण अफ्रीका ने तीन विकेट पर 62 रन से शुरूआत की और जल्द ही मध्यक्रम के आउट होने से उसका स्कोर सात विकेट पर 111 रन हो गया। इस दौरान मार्कराम ने कागिसो रबाडा (02) के साथ मिलकर 51 रन की भागीदारी निभायी।फिर पहली पारी के नायक रहे मोहम्मद सिराज (31 रन देकर एक विकेट) ने मार्कराम को आउट कर सुनिश्चित किया कि उनकी बढ़त 100 रन के पार नहीं पहुंचे।
(भाषा)