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Last Modified: शनिवार, 17 दिसंबर 2016 (16:41 IST)

बीसीसीआई की संशोधन याचिका भी खारिज

बीसीसीआई की संशोधन याचिका भी खारिज - BCCI, Supreme Court, Lodha Committee, Indian cricket team
नई दिल्ली। लोढा समिति की सिफारिशों को लागू न करने को लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को उच्चतम न्यायालय से एक बार फिर झटका लगा है और शीर्ष अदालत ने इस सिलसिले में बोर्ड की संशोधन (क्यूरेटिव) याचिका खारिज कर दी है।
शीर्ष अदालत ने देश में क्रिकेट प्रशासन में सुधार लाने के लिए न्यायमूर्ति आरएम लोढा समिति का गठन किया था, जिसके बाद उसने कुछ सिफारिशों को बीसीसीआई को लागू करने के लिए कहा, लेकिन बीसीसीआई ने कुछ सिफारिशों का विरोध किया। बोर्ड ने न्यायालय में संशोधन याचिका भी डाली थी जिसे उसने निरस्त कर दिया।
 
संशोधन याचिका खारिज करने के बाद अब बीसीसीआई की मुश्किलें काफी हद तक बढ़ सकती हैं, क्योंकि अब बोर्ड के पास कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है जिसके बाद बीसीसीआई को लोढा कमेटी की सिफारिशों को लागू करना ही होगा।
 
कुछ दिन पहले ही न्यायालय ने बीसीसीआई की पुनर्विचार याचिका खारिज की थी जिसके बाद उसने संशोधन याचिका दाखिल की थी। गौरतलब है कि न्यायालय ने 18 जुलाई को बीसीसीआई को लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू करने को कहा था।
 
बीसीसीआई ने 22 जनवरी 2015 को दिए गए गए निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश ठाकुर, न्यायमूर्ति जेएस खेहर और दीपक मिश्रा की सदस्यता वाली खंडपीठ ने कहा कि हमने क्यूरेटिव याचिका और इससे जुड़े दस्तावेजों को देखा है। रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा एवं अन्य के मामले में अदालत के निर्णय के तहत तय मानकों के अनुरूप इस संशोधन याचिका को खारिज कर दिया है, वहीं बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारी भी इस मामले में काफी दबाव झेल रहे हैं। 
 
गौरतलब है कि गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि यदि बोर्ड के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर पर अदालत में झूठे साक्ष्य पेश करने के आरोप साबित हो जाते हैं तो उन्हें जेल जाना पड़ सकता है।
 
दरअसल, अनुराग ठाकुर ने शीर्ष अदालत में पेश किए गए हलफनामे में कहा था कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अध्यक्ष शशांक मनोहर से केवल यह कहा था कि इस मामले पर उनका स्टैंड क्या होता, जब वे (मनोहर) बीसीसीआई अध्यक्ष थे जबकि मनोहर इस बात से इंकार कर चुके हैं।
 
शीर्ष अदालत ने न्याय मित्र गोपाल सुब्रह्मण्यम की दलीलें सुनने के बाद पहली दृष्टि में अनुराग को इसका दोषी पाया था। संभव है कि न्यायालय इससे संबंधित फैसला भी सुनाए। न्यायालय ने न्याय मित्र से पूछा था कि अनुराग ने इस मामले में झूठ बोला है या नहीं? तब सुब्रह्मण्यम ने अपने जवाब में कहा कि बीसीसीआई अध्यक्ष ने झूठ बोला है। (वार्ता)
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