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Written By वार्ता
Last Modified: नई दिल्ली (वार्ता) , सोमवार, 2 जुलाई 2007 (19:44 IST)

सर्वकालीन महान कप्तान क्यों नहीं?

भारत टेस्ट क्रिकेट
भारत के टेस्ट क्रिकेट खेलने के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आठ पूर्व भारतीय कप्तानों के विशिष्ट पैनल ने एक सर्वकालीन महान भारतीय टीम तो चुनी लेकिन उन्होंने इसमें सर्वकालीन महान भारतीय कप्तान नहीं चुना जो काफी आश्चर्यजनक लगता है।

महान ऑफ स्पिनर ईरापल्ली प्रसन्ना की अध्यक्षता वाले इस पैनल में आठ पूर्व भारतीय कप्तान गुंडप्पा विश्वनाथ, दिलीप वेंगसरकर, श्रीनिवास वेंकटराघवन, कृष्णामाचारी श्रीकांत, अजीत वाडेकर, नारी कांट्रेक्टर, सैयद किरमानी और अब्बास अली बेग शामिल थे।

इस विशिष्ट पैनल ने जो सर्वकालीन महान भारतीय एकादश चुनी उसका कप्तान उन्होंने गावसकर को बनाया जो भारतीय टेस्ट इतिहास में कभी सर्वश्रेष्ठ कप्तान नहीं माने जाते है।

भारतीय क्रिकेट इतिहास की गहरी परख रखने वाले प्रसिद्ध क्रिकेट लेखक प्रो सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने इस सर्वकालीन टीम पर टिप्पणी करते कहा कि ऐसा लगता है कि आठ पूर्व कप्तानों ने सर्वकालीन महान टीम तो चुन ली, लेकिन उन्होंने इस बात को तवज्जो नहीं दी कि महान टीम का कप्तान भी महान होना चाहिए।

प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि पैनल ने अपना सारा ध्यान टीम चुनने में लगाया और जब उन्होंने टीम चुन ली तो इस टीम का कप्तान गावसकर को बना दिया जबकि ऐसा नहीं होना चाहिये। कप्तान किसी भी टीम के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है और टीम की सफलता में उसकी निर्णायक भूमिका होती है।

उन्होंने कहा कि पैनल को यही महसूस हुआ होगा कि गावसकर इतने महान बल्लेबाज है कि उन्हें कप्तान बनाने पर किसी को आपत्ति नहीं होगी, लेकिन मेरा मानना है कि गावसकर महान बल्लेबाज रहे है, लेकिन वह सर्वकालीन महान टीम के कप्तान कतई नहीं बन सकते।

भारतीय क्रिकेट के इतिहास पर कई किताबें लिख चुके प्रो.चतुर्वेदी ने कहा कि सर्वकालीन महान टीम का कप्तान मंसूर अली खाँ पटौदी को बनाया जाना चाहिए था, जिन्हें आज भी भारत का सर्वश्रेष्ठ कप्तान माना जाता है, लेकिन अफसोस की बात है कि पैनल ने टाइगर पटौदी को टीम में ही जगह नहीं दी जबकि वह एक सर्वश्रेष्ठ कप्तान की हैसियत से भारत की किसी भी सर्वकालीन टीम में जगह पा सकते हैं। वह एक बेहतरीन कप्तान होने के अलावा शानदार बल्लेबाज और अद्वितीय क्षेत्ररक्षक थे।

उन्होंने कहा कि गावसकर जहाँ रक्षात्मक कप्तान थे वही टाइगर पटौदी आक्रामक कप्तान थे और खेल के हर पहलू की बारीक समझ रखते थे। प्रो. चतुर्वेदी ने सर्वकालीन एकादश में कुछ खिलाड़ियों की मौजूदगी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कपिल देव के साथ तेज गेंदबाज जोड़ीदार के रुप में मोहम्मद निसार को रखा जाना चाहिए, जो 1932 में लॉर्ड्‍स में भारत के पहले टेस्ट में खेले थे।

वह सही मायनों में भारत के पहले तेज गेंदबाज थे, लेकिन एकादश में जवागल श्रीनाथ को जगह मिली जबकि निसार को रिजर्व खिलाड़ियों में रखा गया। उन्होंने कहा कि निसार को एकादश में शामिल कर श्रीनाथ को रिजर्व में रखा जाना चाहिए था।