Last Modified: दाम्बुला ,
गुरुवार, 17 जून 2010 (18:45 IST)
युवा खिलाड़ियों का रवैया भारत के लिए चिंता
आठ महीने बाद होने वाले विश्व कप के मद्देनजर युवाओं का ध्यान चयनकर्ताओं को आकषिर्त करने पर होना चाहिए लेकिन प्रज्ञान ओझा और सौरभ तिवारी जैसे खिलाड़ियों के तेवर टीम इंडिया के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे हैं।
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विश्व कप 2011 के लिए टीम इंडिया का स्वरूप लगभग तय है, लेकिन बाकी बचे स्थानों के लिए चयनकर्ताओं की नजरें उन युवाओं के चयन पर है जो विशेष जिम्मेदारियाँ निभा सकें।
ऐसे में युवाओं को अपना दावा पक्का करने के लिए और मेहनत करनी चाहिए लेकिन एशिया कप में बांग्लादेश के खिलाफ मैच में ओझा और तिवारी का रवैया निराशाजनक रहा।
लंच ब्रेक के दौरान अशोक डिंडा, आर अश्विन, ओझा और तिवारी को शेड्यूल दिया गया था। डिंडा और अश्विन ने रणगिरि दाम्बुला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के छह चक्कर लगाकर काम पूरा कर दिया, लेकिन ओझा और तिवारी ने ऐसा नहीं किया।
टीम के ट्रेनर रामजी श्रीनिवासन को उन्हें अपने चक्कर पूरे करने के लिए धकेलना पड़ा। सामने खड़ा मीडिया इस पूरी घटना का गवाह बना।
इससे पहले भी भारत के पूर्व फील्डिंग कोच रॉबिन सिंह ने न्यूजीलैंड के खिलाफ श्रृंखला के दौरान ओझा को आड़े हाथों लिया था। बाएँ हाथ के इस स्पिनर की अभ्यास और फील्डिंग की कसरतों में रूचि नहीं रहती है। दूसरे खिलाड़ी जहाँ नेट पर पसीना बहाते दिखते हैं, वही ओझा आराम फरमाते नजर आते हैं।
आशीष नेहरा की जगह खेलने वाले तिवारी का भी कमोबेश यही हाल है। उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग में अच्छे प्रदर्शन के दम पर टीम में जगह मिली है। (भाषा)