Last Modified: नई दिल्ली ,
सोमवार, 28 दिसंबर 2009 (11:48 IST)
घास ने बिगाड़ा पिच का खेल
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फिरोजशाह कोटल मैदान में खराब पिच के लिए गलत किस्म की घास के उपयोग को जिम्मेदार माना जा रहा है। पिछले साल अप्रैल में कोटला के नवीनीकरण के बाद बीसीसीआई की पिच समिति के प्रमुख दलजीत सिंह की देखरेख में पिच बनाने का काम शुरू किया गया था।
चैंपियंस लीग और 31अक्टूबर को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए वन-डे के दौरान गेंद काफी नीची रह रही थी। इस दौरान भी पिच की आलोचना हुई थी। उसके बाद पिच पर नई घास 'विंटर सीड' लगाई गई ताकि पिच कुछ जीवंत हो सके।
आमतौर पर इस घास का इस्तेमाल गोल्फ कोर्स में किया जाता है। क्रिकेट के मैदान में इस घास ने ऐसा कमाल दिखाया कि जहाँ गेंद बिलकुल नीचे रह रही थी, वहीं एकदम तेजी से उछाल लेने लगी।
लंबे अरसे तक यहाँ मुख्य पिच क्यूरेटर की भूमिका निभाते रहे राधेश्याम शर्मा बोर्ड की पिच कमेटी के चेयरमैन दलजीत सिंह को दोषी मानते हैं। उन्होंने कहा कि लोकल क्यूरेटर विजय बहादुर मिश्रा का इसमें दोष नहीं है।
राधेश्याम के मुताबिक दोबारा बिछाई गई पिच पर 12 एमएम की घास पर हैवी रोलर ले लिया गया और उसके बाद उसे काटा गया। ऐसी गलती तो कोई मामूली ग्राउंड्समैन भी नहीं करता।
इससे हुआ यह कि घास दब गई और कटाई में न आने के कारण कई जगह रह गई और खास स्पॉट बन गए। इससे जब गेंद घास पर पड़ती तो असमान उछाल लेती और जब सपाट वाले हिस्से पर पड़ती तो सामान्य व्यवहार करती रही।
पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर के मुताबिक पिच पर दोबारा घास बिछाने में ही खेल गड़बड़ा गया। घास को जब काटा जाता है तो खास सावधानी की जरूरत होती है। जब घास का सिरा ऊपर की ओर हो जाता है तो गेंद इस पर पड़कर 'वर्टिकल बाउंस' (असमान उछाल) लेने लग जाती है। चैंपियंस लीग और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वन-डे मैच के बाद घास के बिछाने में ही कुछ कमी रही है। (नईदुनिया)