मनमानी फीस पर ऐसे शिकंजा कसेगा सीबीएसई
नई दिल्ली। अत्यधिक शुल्क वसूलने और ‘छिपी हुई’कीमत वसूलने पर लगाम कसने के लिए सीबीएसई ने निजी स्कूलों से अपने शुल्क ढांचे तथा हाल के वर्षों में बढाए गए शुल्क के बारे में डेटा देने को कहा है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया जब इससे कुछ सप्ताह पहले सीबीएसई ने निजी स्कूलों को अपने परिसरों में यूनीफार्म और किताबें बेचकर ‘दुकानों’ में तब्दील नहीं होने की चेतावनी दी थी।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने एक साक्षात्कार में कहा कि हमने स्कूलों से कहा है कि उन्हें अत्यधिक शुल्क वसूल नहीं करना चाहिए। शुल्क तार्किक होना चाहिए और कोई छिपी हुई कीमत नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह माता-पिता के लिए परेशान करने वाली बात है। उन्होंने कहा कि सीबीएसई ने स्कूलों से उनके शुल्क ढांचे और शुल्क में बढ़ोतरी के बारे में पूछा है।
मंत्री ने कहा कि कई स्कूलों ने यह भेज दिया है और डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है। जिन स्कूलों ने इसे नहीं भेजा है, उन्हें रिमाइंडर भेजा गया है और दंडित किया गया है। हालांकि मंत्री ने अत्यधिक शुल्क वसूलने तथा अपने शुल्क ढांचे में छिपी हुई कीमत वसूलने के दोषी पाए जाने वाले स्कूलों पर दंड के उपायों के बारे में नहीं बताया।
स्कूलों द्वारा अत्यधिक शुल्क लेना और हर साल शुल्क में बढ़ोतरी चिंता का विषय रहा है और माता-पिता अक्सर इस मुद्दे का उठाते रहे हैं। गुजरात ने पिछले महीने अत्यधिक शुल्क वसूली को नियमित करने के लिए ‘गुजरात स्ववित्त पोषित स्कूल (शुल्क नियमन) विधेयक 2017’पेश किया था। जावडेकर ने कहा कि हम निजी निवेश को मूल्यवान मानते हैं क्योंकि यह जीडीपी में योगदान करता है, लेकिन स्कूलों को अत्यधिक शुल्क नहीं वसूलना चाहिए। (भाषा)